Order issued for all schools in the state

शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी विद्यालयों के लिए 14 फरवरी के लिए जारी किया आदेश, नियुक्त किए प्रभारी

मातृ-पितृदिवस

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बीकानेर। स्कूल शिक्षा विभाग ने शिविरा में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 14 फरवरी, 2025 को राज्य के समस्त राजकीय व निजी विद्यालयों में मातृ-पितृ दिवस का आयोजन के लिए आदेशित किया है।इस दिन के लिए मॉनिटरिंग हेतु समस्त जिलों में प्रभारी नियुक्त कर उनके दायित्व निर्धारित किये गए हैं।
शिक्षा विभाग का आदेश है कि 14 फरवरी को सभी स्कूलों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मातृ-पितृ दिवस का आयोजन किया जाए.

प्रदत्त कार्य दायित्व में संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा को समस्त संभाग प्रभारी , मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को समस्त जिला प्रभारी ,जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) प्रार. शिक्षा को सह जिला प्रभारी तथा मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को समस्त ब्लॉक प्रभारी नियुक्त कर उक्तानुसार दायित्व निर्धारण कर निर्देशित किया गया है कि वे अपने कार्यक्षेत्र के अधीनस्थ समस्त विद्यालयों में मातृ पितृ दिवस के लिए निर्देशित कार्य संपन्न करवाए।

भारतीय संस्कृति में 14 फरवरी के दिन को विद्यार्थियों में अपने माता-पिता के प्रति संवेदनशील होने एवं संस्कारित आचरण के लिए राजस्थान सरकार ने मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाने के लिए निर्देशित किया है।
राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग विद्यालयों में संस्कार युक्त तथा नैतिक शैक्षिक वातावरण के लिए कृत संकल्पित है इसलिए उनके अनुसार विद्यालयों में उचित संस्कारी वातावरण होना जरूरी है तथा विद्यालयों में मातृ पितृ दिवस आयोजन द्वारा विद्यार्थियों को माता-पिता के प्रति सम्मान की भावना विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाए।

बच्चों को भारतीय संस्कार से जोड़ने का प्रयास :

शिक्षा विभाग द्वारा इस दिन के लिए कोई विशेष गाइडलाइंस तो जारी नहीं की है लेकिन इस दिन को स्कूलों में आयोजित होने वाली प्रातः सभा के दौरान मनाया जाएगा। इस अवसर पर बच्चों को माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी, सम्मान और भावनाओं को समझाने के लिए महत्वपूर्ण बातें बताई जाएंगी। इसके अलावा, स्कूलों में पेरेंट्स मीटिंग का भी आयोजन किया जा सकता है, ताकि माता-पिता और बच्चे के बीच बेहतर संवाद स्थापित हो सके। इस पहल के पीछे मुख्य उद्देश्य बच्चों को भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों से परिचित कराना है, ताकि वे पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बच सकें।

यहां उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।

जहां चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं।

इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए ‘वेलेंटाइन-डे’ नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।

ऐसा माना जाता है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।

1260 में संकलित की गई ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा।

संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया। उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है।

कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।

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