Mahapanchayat gave its verdict and imposed a heavy fine

मूंछे काटने का मामला, महापंचायत बैठी एकत्रित हुए एक लाख से अधिक लोग,लगा दिया 11 लाख रुपए का जुर्माना और वसूला भी

राजस्थान में करौली ज़िला इन दिनों एक महापंचायत के फ़ैसले की वजह से चर्चा में है।27 जनवरी को महापंचायत ने यहां के रोंसी गांव के एक परिवार पर 11 लाख रुपये जुर्माना लगाने का फ़रमान सुनाया था।

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जुर्माने की वजह- रोंसी गांव से 40 किलोमीटर दूर स्थित करीरी गांव के एक परिवार का अपमान और उसके एक सदस्य की जबरन मूंछें और बाल काटने का आरोप 15 दिन में जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर पूरे गांव को समाज से बहिष्कृत करने की भी चेतावनी दी गई।पंचायत के फ़रमान के दबाव में रोंसी गांव के इस परिवार ने 30 जनवरी को 11 लाख रुपये जमा करा दिए।

इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। अब तक इस मामले में पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई।दरअसल यह मामला राजस्थान के करौली ज़िले में टोडाभीम उपखंड के करीरी और रोंसी गांवों से जुड़ा है, जो एक-दूसरे से चालीस किलोमीटर की दूरी है।

मामले की विस्तृत जानकारी

करीरी गांव के रहने वाले बाबूलाल ने अपने बेटे कमलेश के लिए अपने एक रिश्तेदार श्रीमन पटेल के ज़रिए रोंसी गांव में एक लड़की से शादी की बात की।श्रीमन पटेल के अलावा दोनों पक्षों में से किसी ने एक दूसरे के घर-परिवारों और लड़के-लड़की को भी नहीं देखा था।लड़की पक्ष का दावा है कि बातें तय होने पर फ़ोन के ज़रिए ही दोनों परिवार संपर्क में थे।इसी 17 जनवरी को बाबूलाल अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ लड़की की गोद भराई रस्म (रिश्ता पक्का करने का स्थानीय रिवाज़) के लिए रोंसी गांव गए। जहां, लड़के वालों ने रस्म के ठीक पहले लड़की को नापसंद कर दिया गया।इस बात को ग्रामीणों ने पूरे रोंसी गांव की बदनामी से जोड़ कर देखा।अगले ही दिन गांव में स्थानीय पंच-पटेलों ने लड़के पक्ष से (करीरी गांव के बाबूलाल से) लड़की को नापसंद करने के बदले 11 लाख रुपये हर्जाना देने की बात स्टांप पेपर पर लिखवा ली।इसके अलावा लड़की पक्ष के परिजनों ने कमलेश के भाई नरेश की मूंछ और सिर के बाल काट दिए और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी शेयर किया।

करीरी गांव ने नरेश की मूंछ और सिर के बाल काटने की घटना को गांव की बदनामी से जोड़ कर देखा।दोनों ही पक्षों में से किसी ने भी पुलिस में शिकायत नहीं दी और विवाद बढ़ने के साथ ही मामले को शांत करने के लिए समाज की महापंचायत बुलाने का फ़ैसला किया गया।करौली के टोडाभीम डिप्टी एसपी मुरारी लाल ने बताया कि, “हमने दोनों पक्षों से पुलिस शिकायत के लिए समझाया की थी, लेकिन किसी भी पक्ष ने पुलिस शिकायत नहीं दी है। इस कारण इस मामले में हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।”

वहीं, राजस्थान हाई कोर्ट में एडवोकेट अखिल चौधरी इस जुर्माने के फ़रमान को ग़ैर क़ानूनी मानते हैं।उनका कहना हैं, “इस पंचायत के जुर्माना वसूलने के फ़ैसले पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए भी एफआईआर दर्ज कर सकती है।”

पुलिस शिकायत और कानूनी प्रक्रिया की जगह समाज की पंचायत में ही इस मामले में निर्णय लेने के लिए 27 जनवरी को करीरी गांव में एक महापंचायत बुलाई गई।करीरी के सरपंच प्रतिनिधि पूरण सिंह दावा करते हैं कि इस महापंचायत के लिए करीरी गांव के लोगों ने आपसी सहयोग से डेढ़ करोड़ रुपये जमा किए।वह दावा करते हैं कि महापंचायत में करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा समेत कई जगह से एक लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए।

महापंचायत में श्रीमन पटेल (बिचौलिया) और कमलेश (नरेश का भाई) के बयान सुने गए। 21 सदस्यों की एक कमेटी बना कर बिचौलियों और लड़की के परिवार को दोषी करार दिया गया।क़रीब तीन घंटे चली महापंचायत में पंच-पटेलों की कमेटी का निर्णय पढ़कर सुनाते हुए शीरी पटेल ने कहा, “परिवार को 11 लाख रुपये पंद्रह दिनों के भीतर देने होंगे यदि तय समय में 11 लाख रुपये नहीं दिए गए तो पूरे रोंसी गांव को समाज से बहिष्कृत माना जाएगा।”

“इसके अलावा दो बिचौलियों को एक-एक लाख रुपये से दंडित किया जाता है। इसके साथ ही रोंसी गांव में लड़के पक्ष को दंडित करने वाले पंचों पर ग्यारह-ग्यारह सौ रुपये का दंड और उन्हें समाज की जाजम से बहिष्कृत किया जाता है।”जाजम से बाहर किए जाने का आदेश देने का मतलब है कि ये पंच पंचायत में शामिल नहीं हो सकते।शीरी पटेल ने पंचायत में यह भी घोषणा की कि कमेटी और पंच पटेलों का लिया गया यह निर्णय सभी को मान्य होगा। यदि निर्णय के ख़िलाफ़ भविष्य में कोई भी व्यक्ति अनुचित कार्रवाई करने की कोशिश करेगा तो वह भी मीणा समाज का दोषी माना जाएगा।

कमलेश के चाचा विजय कुमार ने बताया कि,”पंचायत ने जो फ़ैसला लिया है वो हमें, पूरे गांव और समाज को मान्य है।”

ग्रामीण छोटे लाल ख़ुद को कमलेश का चाचा बताते हैं।

उनका आरोप है, “गोद भराई रस्म के लिए परिवार के लोग रोंसी गांव गए हुए थे।परिवार ने लड़की नहीं दिखाई हमें और हमने गोद भराई रस्म से इनकार कर दिया।इसके बाद लड़की पक्ष ने सभी को बंधक बना लिया, फ़ोन ले लिए।नरेश की मूंछें और सिर के बाल काट दिए। फिर करीरी फोन कर यहां से बुजुर्गों को बुलाया गया।”

वह आगे कहते हैं, “रोंसी के पंचों ने कमलेश के परिवार पर लड़की को नापसंद करने के एवज में 11 लाख रुपये का दंड लगाते हुए स्टांप पेपर पर लिखवाया। रोंसी पंचायत के फ़ैसले को महापंचायत ने अमान्य कर दिया है।”

गांव के ही कुछ और लोग हैं जो नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “पंचायत ने रोंसी पर जुर्माना लगाया है, लेकिन हम इस जुर्माने को भी कम मानते हैं। हमारे गांव के एक युवक की मूंछ और सिर के बाल नहीं काटे गए, बल्कि हमारे पूरे गांव की बदनामी की गई है।”

करीरी सरपंच प्रतिनिधी पूरण सिंह कहते हैं, “हमने पंचायत में रोंसी वाले पक्ष को भी बुलाया था लेकिन वह पंचायत में शामिल होने नहीं आए।”वहीं, लड़की के बाबा हरि मीणा ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा, “हमें पंचायत में नहीं बुलाया गया।”

पंचायत में बिचौलिया श्रीमन पटेल के बयान दर्ज करते हुए पंच पटेल करीरी से चालीस किलोमीटर दूर रोंसी गांव की गलियां सुनसान हैं। सभी की ज़ुबान पर सिर्फ़ इस घटना का ज़िक्र है।हम पूछते हुए लड़की पक्ष के घर पहुंचे जो रोंसी गांव के बड़ा पुरा में रहता है। घर में परिवार के लोगों के साथ ही कुछ अन्य लोग बैठे हुए थे।वह कैमरे पर बात करने से इनकार कर देते हैं‌।

लड़की के बाबा कहते हैं, “बाबू लाल के बेटे कमलेश के रिश्ते की बात करने के लिए दस जनवरी को उनके रिश्तेदार श्रीमन पटेल आए थे। उन्होंने लड़की को देखा और वह हमें (एक तरह का शगुन) भी दे कर गए थे।”

“हमने लड़के को भी नहीं देखा था और ना ही उनके परिवार को देखा था। हमने बाबू लाल से फ़ोन पर कई बार कहा था कि वह हमारे घर आएं और ख़ुद लड़की को देखें, लेकिन वह नहीं आए और अपने रिश्तेदार श्रीमन पटेल पर ही उन्होंने भरोसा जताया।”

हरि मीणा आगे कहते हैं, “सारी बातें हो जाने के बाद दो दर्जन लोग लड़की की गोद भराई रस्म के लिए आए थे। फिर अचानक से नापसंद कर दिया तो यह तो लड़की और हमारी बदनामी हुई। खूब समझाने पर भी वह नहीं माने।”

क्या आपको कमलेश के भाई नरेश की मूंछें और सिर के बाल काटने का अफ़सोस है, क्या आप मानते हैं कि वो ग़लत किया था?इस सवाल पर हरि मीणा कहते हैं, “नरेश अभद्र भाषा बोल रहा था। हमारे पंच पटेलों को गाली दे रहा था। अब गुस्से में हुआ या उसने हमें उकसाया, कुछ भी मान लीजिए.”पंचायत के फ़रमान पर हरि मीणा कहते हैं, “हमें पंचायत में बुलाया ही नहीं गया।हमारा पक्ष सुना ही नहीं गया, एक पक्ष सुनकर पंचायत ने फ़ैसला दिया है। हम पंचायत के फ़ैसले को मानते हुए 11 लाख रुपये अपने पंच पटेलों को दे रहे हैं।”

जुर्माने के 11 लाख रुपये का क्या किया जाएगा इस सवाल पर पंचायत में फ़ैसले के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य मदन मोहन सिंह कहते हैं, “जुर्माने का वसूला पैसा लड़के पक्ष को नहीं दिया जाएगा।”वह आगे कहते हैं, “इस पैसे को हम करीरी गांव को सुपुर्द कर देंगे। यह पैसा वो मंदिर, धार्मिक कार्यक्रम या स्कूल में जहां भी उपयोग करना चाहें कर सकते हैं जल्द ही हमारे पास बिचौलियों के दो लाख रुपये भी जुर्माने की राशि के आ जाएंगे।”मदन मोहन कहते हैं, “अब रोंसी गांव को बहिष्कृत नहीं किया जाएगा।।”

करीरी गांव के लोगों का कहना है कि हम पंचायत के फ़ैसले के साथ हैं।देश के 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को देश भर में संविधान और क़ानून पर चर्चा हुई और अगले ही दिन एक पंचायत ने फ़रमान सुना दिया।महापंचायत में बतौर निर्णय कमेटी सदस्य शामिल होने वाले शीरी पटेल कहते हैं, “लड़का पक्ष समाज की पंचायत के फ़ैसले के साथ है। हम आदिवासी समाज है और हमारी पंचायत जो फ़ैसला लेती है उसे कोर्ट भी मान्य करता है।”

दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और आदिवासी चिंतक डॉक्टर गंगा सहाय मीणा कहते हैं, “जब भारत में आधुनिक न्याय व्यवस्था नहीं थी और संविधान का प्रावधान जब तक नहीं था तो राजा न्याय करते थे, किसी न्याय तंत्र के अधीन नहीं आने वाले कबीले अपना न्याय ख़ुद करते थे।”

उनका कहना है, “यह अदालत और सरकार की विफलता है कि लोग अभी भी पंचायतों का रुख़ करते हैं। हमें पुलिस थानों और न्यायालयों को जनता के लिए इतना अनुकूल बनाना चाहिए कि जनता उनको अपना हितैषी समझे।”

“यदि करीरी और रोंसी गांव का मामला न्यायालय में जाता तो कम से कम दस साल इस प्रक्रिया में लग जाता। क्योंकि यह सिविल ऑफेंस का मामला है और इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर नहीं देखा जाता है।”

समाजशास्त्री प्रोफ़ेसर राजीव गुप्ता कहते हैं, “बीते एक दशक के बाद से तो औपचारिक संस्थाएं नॉन फंक्शनल हो गई हैं। जाति, धर्म और खाप पंचायतों की भूमिकाएं बहुत प्रभावी होती चली गई हैं, क्योंकि इनके पीछे राजनीतिक वोट बैंक शामिल है।इनके जो महत्वपूर्ण पंच हैं वो स्थानीय स्तर पर नेतृत्व करते हैं और उनके राजनीतिक संबंध है।”

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