गुरू गोविंद सिंह जयंती आज , ये मिलती है सीख
प्रत्येक पौष माह में गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। गुरु गोबिंद सिंह कम उम्र में ही सिखों के दसवें गुरु बन गए थे।
जयपुर। हर साल सिख धर्म के लोग पौष माह के आने के बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) का पर्व मनाया जाता है।
इस खास अवसर पर गुरुद्वारों में कई तरह के विशेष कार्यक्रम और लंगर का आयोजन किया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि दस वर्ष की उम्र में ही गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु बने थे। वह एक कवि, भक्त, और आध्यात्मिक नेता थे।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महत्व
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई साहित्य की रचना की थी। उन्होंने सिख धर्म के लिए कई नियम बनाए, जिनका पालना आज भी किया जा रहा है।
गुरु गोबिंद सिंह जी से मिलती हैं ये शिक्षा
उनका ऐसा मानना था कि समाज का प्रत्येक इंसान समान है। सभी को एक नजर से देखना चाहिए। चाहे वे किसी भी धर्म का हो।
गुरु गोबिंद सिंह के अनुसार, लोगों को एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।
चोरी और धोखाधड़ी से दूर रहना चाहिए।
अपनी कमाई का दसवां हिस्सा किसी को दान करना चाहिए।
गुरु गोबिंद सिंह जी का मानना था कि इंसान को हमेशा वाणी को मधुर रखना चाहिए।
किसी दूसरे की निंदा भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।
गुरु गोबिंद सिंह जी के अनुसार, अच्छे कर्मों के द्वारा इंसान को जीवन में सच्चा गुरु प्राप्त होता है और गुरु के मार्गदर्शन से भगवान मिलते हैं।
हमें महान सुख और स्थायी शांति तभी प्राप्त हो सकता है जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते हैं।

सिख धर्म: एक परिचय
सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में भारत के पंजाब क्षेत्र में गुरु नानक देव जी ने की थी। यह धर्म मानवता, समानता, सेवा, और एक ईश्वर की उपासना के सिद्धांतों पर आधारित है।
सिख धर्म की स्थापना और विकास
1. गुरु नानक देव जी (1469-1539):सिख धर्म के संस्थापक।उन्होंने “एक ओंकार” (ईश्वर एक है) का संदेश दिया।जाति-पाति, धर्म, और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया।”नाम जपो, कीरत करो, वंड छको” का संदेश दिया।
2. दस सिख गुरु:सिख धर्म को दस गुरुओं ने अपने उपदेशों और कार्यों से आगे बढ़ाया:
गुरु अंगद देव
गुरु अमर दास
गुरु राम दास
गुरु अर्जन देव
गुरु हरगोबिंद
गुरु हर राय
गुरु हरकृष्ण
गुरु तेग बहादुर
गुरु गोबिंद सिंह
गुरु गोबिंद सिंह
खालसा पंथ की स्थापना
1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की।खालसा पंथ सिख समुदाय का एक विशेष संगठन है, जिसका उद्देश्य न्याय और धर्म की रक्षा करना है।
उन्होंने “पाँच ककार” (केश, कड़ा, कंघा, कच्छा, कृपाण) का पालन अनिवार्य किया।
सिख धर्म के मुख्य सिद्धांत
1. एक ईश्वर की उपासना: सिख धर्म में ईश्वर को निराकार, सर्वशक्तिमान, और करुणामयी माना गया है।
2. सभी मनुष्यों की समानता: जाति, धर्म, लिंग, और समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं।
3. सेवा और परोपकार: सिख धर्म में “सेवा” (निःस्वार्थ सेवा) का विशेष महत्व है।
4. कर्म और पुनर्जन्म: अच्छे कर्म करने पर बल दिया गया है।
सिख धर्म के धार्मिक ग्रंथ “गुरु ग्रंथ साहिब”
यह सिखों का पवित्र ग्रंथ और अंतिम गुरु है।इसमें सिख गुरुओं और अन्य संतों की वाणी संग्रहित है।गुरु ग्रंथ साहिब में जीवन, ईश्वर, और मानवता के बारे में शिक्षाएं दी गई हैं।
सिख धर्म के प्रमुख त्योहार
1. गुरुपर्व:
सिख गुरुओं के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर मनाए जाने वाले पर्व।
2. बैसाखी:
फसल कटाई के साथ खालसा पंथ की स्थापना का उत्सव।
3. मगहर संग्रांद:
गुरु गोबिंद सिंह जी की शहीदी को स्मरण करने के लिए।
सिख धर्म की प्रमुख शिक्षाएं :
सिख धर्म में हिंसा का विरोध और अहिंसा का पालन महत्वपूर्ण है।
सत्य, ईमानदारी, और मेहनत से जीवन जीने की शिक्षा दी गई है।
हर व्यक्ति को “नाम सिमरन” (ईश्वर का स्मरण) और “संगत” (सामूहिक पूजा) करनी चाहिए।
सिख धर्म के प्रमुख स्थल :
हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर: सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल।
अन्य प्रमुख गुरुद्वारे: तख्त श्री पटना साहिब, तख्त श्री हजूर साहिब, और आनंदपुर साहिब।
सिख धर्म एक ऐसा धर्म है जो आध्यात्मिकता, सेवा, और मानवता की उन्नति को प्रोत्साहित करता है। इसके सिद्धांत आज भी समाज में शांति और समरसता स्थापित करने में सहायक हैं।
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