Chargesheet given to examiner

मनमर्जी अनुसार दिए नंबर,परीक्षक को थमाई चार्जशीट,10 वीं कक्षा की विज्ञान विषय की कॉपियों का मामला, शिक्षा मंत्री एवं माशिबो लापरवाही करने वाले कार्मिकों पर सख्त

अजमेर। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की‎ विज्ञान विषय की 13 विद्यार्थियों की कॉपियों को जांचा ही नहीं और सीधे मेन पेज पर योग में अंक दे दिए‎ गए। बोर्ड ने जांच में ऐसा पाया है ।‎ बोर्ड के जवाब के‎ आधार पर स्कूल‎ शिक्षा अजमेर के‎ संयुक्त निदेशक‎ साहेब सिंह ने परीक्षक‎ वरिष्ठ अध्यापक‎ विज्ञान निमिषा रानी‎ ‎को नियम 16 के‎ तहत चार्जशीट थमाई‎ है।

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यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व में समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर‎ शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा संज्ञान लेकर निर्देश देने पर‎ परीक्षक को निलंबित कर उन्हें जिला बदर‎ करते हुए मुख्यालय भेरूंदा, नागौर कर दिया‎ गया।बोर्ड ने उन्हें 5 साल के लिए‎ कॉपियां जांचने के लिए डिबार करते हुए‎ उनका आधा पारिश्रमिक काट लिया था। साथ ही कुछ दिन पहले बोर्ड की मीटिंग में भी शिक्षा मंत्री ने बोर्ड को सख्त निर्देश दिए गए कि वो अपनी कार्यशैली में सुधार करें। कोई भी कार्मिक लापरवाही नहीं बरतें एवं प्रायोगिक परीक्षा में मेहमान नवाजी से बचें।

‎ बोर्ड के 67 साल के इतिहास में ऐसा पहली‎ बार हुआ कि परीक्षार्थियों की कॉपियां ही नहीं‎ जांची गई हो और सीधे ही नंबर दे दिए गए‎ हो। बोर्ड ने गंभीरता दिखाते हुए तत्काल‎ तीनों मामलों की कॉपियां चैक करवाई तो‎ उनके होश उड़ गए, एक भी सवाल जचां‎ हुआ नहीं था। जैसी कॉपियां छात्रों ने लिखी‎ वैसी ही पाई गई। बिना जंची पाए जाने पर‎ परीक्षक निमिषा रानी को बुलाया गया। तब‎ उन्होंने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि‎ काम की अधिकता व मानसिक तनाव से‎ ऐसा हुआ, इसके लिए खेद है। भविष्य में‎ ऐसा नहीं होगा।

स्कूल शिक्षा अजमेर के‎ संयुक्त निदेशक ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड‎ प्रशासन से इस मामले में वस्तु स्थिति से‎ अवगत कराने को कहा था। बोर्ड ने उन्हें‎ जांच-पड़ताल कर वस्तुस्थिति से अवगत‎ कराया था। बोर्ड ने सभी 13 प्रमाणित कॉपी‎ शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक को भिजवा‎ दी है। यह कॉपियां पूरी तरह से खाली है। एक‎ भी सवाल जचां हुआ नहीं है। जबकि निमिषा‎ का कहना था कि सभी कॉपियां जांची और‎ सभी सवालों पर नंबर भी दिए हैं।‎

चार मामलों में अंक बढ़ोतरी, सात में‎ पहले से कम

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा चार प्रकरणों में अंक वृद्धि हुई‎ व सात प्रकरणों में पूर्व प्रदत्त अंक से‎ कम प्रदान किए जाने से परीक्षार्थियों‎ के अंकों में कमी नहीं की जाकर‎ अंक यथावत रखे गए। दो प्रकरणों में‎ समान अंक प्रदान किए जाने से अंक‎ यथावत रहे। जिसके कारण‎ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की‎ कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा।‎ उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं‎ कर केवल योग में अंक प्रदान कराना‎ मूल्यांकन कार्य में घोर लापरवाही एवं‎ गंभीर अनियमितता का द्योतक है।‎ जिसके कारण परीक्षार्थियों व‎ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को‎ अनावश्यक रूप से यह परेशानी हुई।

‎आपत्ति दर्ज कराने वाले परीक्षार्थियों की‎ संख्या कम

प्राप्त जानकारी के मुताबिक 10वीं साइंस में कम अंक आने की आपत्ति की‎ सिर्फ 13 छात्र-छात्राओं ने ही की। यही वजह रही कि इनके‎ आवेदन पर बोर्ड ने कॉपियां इनको भिजवा दी थी। यह कॉपियां‎ उनके पास सुरक्षित थी। इस कारण इन 13 कॉपियों में किसी तरह‎ का फेरबदल नहीं किया जा सकता। इनमें से 3 ने दोबारा से कम‎ अंक आने पर आपत्ति थी।

राजनैतिक या अन्य प्रभाव काम में नहीं लेने के दिए निर्देश

आरोप पत्र में अनुशासनिक प्राधिकारी एवं संयुक्त निदेशक ने‎ लिखा, एक राजकीय कर्मचारी होने के नाते आपको चाहिए था‎ कि आप बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं को जिम्मेदारी से जांच कर अंक‎ प्रदान करते परंतु आप द्वारा ऐसा नहीं किया गया। एक लोक‎ सेवक होने के नाते आपसे सत्यनिष्ठा, कर्त्तव्यनिष्ठा से कार्य‎ करने की अपेक्षा की जाती है परंतु आप द्वारा ऐसा नहीं किया‎ गया।अनुशासनिक प्राधिकारी ने वरिष्ठ अध्यापक निमिषा रानी‎ को राजस्थान सिविल सेवाएं आचरण नियम 1971 के नियम‎ 24 के प्रावधानों की और भी ध्यान दिलाया। इसमें यह उल्लेख‎ है कि कोई सरकारी कर्मचारी सरकार के अधीन अपने हित को‎ बढ़ावा देने के लिए किसी उच्च प्राधिकारी पर दबाव डालने के‎ लिए कोई राजनैतिक या अन्य प्रभाव नहीं लाएगा। न ही ऐसी‎ कोई कोशिश करेगा।‎

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