मौसम पूर्वानुमान शीतलहर की आहट

अगले 2 दिन के लिए कई राज्यों में जारी हुई भारी बारिश और शीत लहर की चेतावनी

 

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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 2 दिनों में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भारी बारिश और शीत लहर की चेतावनी जारी की है। आंध्र प्रदेश, यनम (पुद्दुचेरी), ओडिशा और तमिलनाडु में 24-25 दिसंबर को भारी बारिश हो सकती है। वहीं, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शीत लहर की चेतावनी जारी की गई है।

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इन दिनों भारी बारिश की संभावना नहीं है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश या बौछारें हो सकती हैं, विशेषकर उत्तरी और पूर्वी राजस्थान में। इसके अलावा, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, चूरू और झुंझुनू जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया गया है, जहां बर्फीली हवाओं के कारण ठंड बढ़ सकती है।

भारत के अन्य हिस्सों में, विशेषकर उत्तर भारत में, अगले 48 घंटों में बारिश के आसार हैं, जिससे ठंड में वृद्धि हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर में भी बूंदाबांदी की सूचना है, जिससे मौसम और कठोर हो सकता है।


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सर्दियों में बारिश एक महत्वपूर्ण मौसम घटना है, जो विशेष रूप से भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में होती है। यह आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है, और इसकी प्रक्रिया और प्रभाव को समझने के लिए कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है:

1. पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) क्या है?

पश्चिमी विक्षोभ एक वायुमंडलीय स्थिति है, जिसमें भूमध्यसागर और उसके आसपास के क्षेत्रों से गर्म और नम हवाएं उत्तरी भारत की ओर आती हैं। यह विक्षोभ पश्चिम एशिया (खासकर मध्य एशिया) से उत्पन्न होकर पाकिस्तान और उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवेश करता है। जब यह ठंडी और शुष्क हवा से टकराती है, तो बारिश या बर्फबारी की स्थिति उत्पन्न होती है।

2. सर्दियों में बारिश का समय:

सर्दियों में बारिश आमतौर पर नवंबर से मार्च के बीच होती है।

दिसंबर और जनवरी में बारिश अधिक होती है, क्योंकि इस दौरान पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहते हैं।

बारिश की तीव्रता में भिन्नता हो सकती है—कभी हल्की फुहारें होती हैं, तो कभी भारी बारिश और ओलावृष्टि भी हो सकती है।

3. सर्दियों में बारिश के प्रभाव:

कृषि:
सर्दियों में बारिश रबी फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है, खासकर गेहूं, सरसों, चना, और मटर जैसी फसलों के लिए। बारिश फसलों को नमी प्रदान करती है, जो उनकी वृद्धि और उत्पादकता के लिए आवश्यक होती है।

हालांकि, अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि फसलों के लिए हानिकारक हो सकती है। ओलावृष्टि से फसलें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और उत्पादन में कमी हो सकती है।

तापमान में गिरावट:
बारिश के कारण तापमान में गिरावट हो सकती है, खासकर उत्तरी भारत में। सर्दियों में ठंड बढ़ जाती है, और कई स्थानों पर धुंध (फॉग) भी बढ़ जाता है, जिससे दृश्यता प्रभावित होती है।

जल स्तर और पर्यावरणीय प्रभाव:
बारिश से जलाशयों, नदियों और तालाबों का जल स्तर बढ़ सकता है, जो पानी की उपलब्धता में सुधार करता है। यह सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत का कारण बन सकता है। लेकिन, अत्यधिक बारिश से बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है, खासकर यदि वर्षा अचानक हो या बहुत तेज हो।

सड़क यातायात:
भारी बारिश से सड़क यातायात प्रभावित हो सकता है, खासकर जब बर्फबारी के कारण सड़कें जाम हो जाती हैं या फिसलन हो जाती है। कई बार ठंड के मौसम में सर्दियों की बारिश सड़कों पर बर्फ की परत बना देती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

4. सर्दियों में बारिश के कारण होने वाली बर्फबारी:

सर्दियों में बारिश के साथ बर्फबारी का भी असर होता है, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड) में। पश्चिमी विक्षोभ के दौरान यह क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हो सकती है, जो पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र बनती है, लेकिन इससे पहाड़ी रास्ते और सड़कों पर यात्रा में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

5. सर्दियों में बारिश के मौसम और परिवर्तित प्रभाव:

वातावरणीय बदलाव:
सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति पहले से अधिक सक्रिय हो सकती है, और इस पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ सकता है। इससे बारिश की आवृत्ति और तीव्रता में बदलाव हो सकता है।

क्षेत्रीय असमानता:
सर्दियों में बारिश के पैटर्न में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्नता होती है। उत्तर भारत के राज्यों में बारिश अधिक होती है, जबकि दक्षिण और पूर्वी भारत में यह कम होती है।

6. सर्दियों में बारिश के पर्यावरणीय और जलवायु संबंधी प्रभाव:

हवा और प्रदूषण:
सर्दियों में बारिश प्रदूषण को साफ करने में मदद करती है। जैसे ही बारिश होती है, वायु में मौजूद धूल और प्रदूषक कण नीचे गिर जाते हैं, जिससे प्रदूषण में कमी आती है। हालांकि, भारी बारिश से जलभराव और बाढ़ जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

स्थानीय मौसम में बदलाव:
बारिश से स्थानीय मौसम में नमी बढ़ जाती है, जो ठंड को और बढ़ा देती है। बारिश और ठंड के कारण घरों और कार्यस्थलों में हीटिंग की आवश्यकता बढ़ जाती है।

7. विकसित देशों और भारत में सर्दियों की बारिश:

भारत में सर्दियों में बारिश का पैटर्न और पश्चिमी विक्षोभ की गतिविधियां पश्चिमी देशों से अलग होती हैं। विकसित देशों में अधिकतर बारिश गर्मियों में होती है, जबकि भारत में सर्दियों में बारिश और बर्फबारी की घटना आम है।

 

 

निष्कर्ष:

सर्दियों में बारिश भारतीय कृषि, जलवायु, और दैनिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। जबकि यह रबी फसलों के लिए लाभकारी है, अत्यधिक या अनियंत्रित बारिश से नुकसान भी हो सकता है। इसके साथ ही, बर्फबारी और सर्दी के मौसम के कारण दैनिक जीवन में भी कई चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन यह प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करती है।


 

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