Education minister is strict about plastic usage

प्लास्टिक उपयोग कॊ लेकर शिक्षामंत्री सख्त, शिक्षा विभाग ने जारी की गाइडलाइन्स

 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

23 दिसंबर बीकानेर । शिक्षा मंत्री मदन दिलावर प्लास्टिक उपयोग को लेकर सख्त दिख रहे है तथा विभाग को निर्देशित किया है कि प्रदेश में समस्त विद्यालयों में स्वच्छता के मामले में अग्रणी बनाना है ताकि विद्यार्थियों एवं कार्मिकों में गंदगी से होने वाले रोगों से पूर्ण रूप से अभाव हो। तथा इस क्रम में  शिक्षा विभाग ने प्लास्टिक को लेकर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जिसमे विभाग के अधीन किसी भी विद्यालय/कार्यालय में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना, विद्यालयों में नो बैग डे के दिन एक कालांश में सिंगल यूजेज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के महत्व को समझाया जाना तथा प्रत्येक शनिवार को नो प्लास्टिक डे मनाया जाना ताकि विद्यार्थी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग स्वयं भी न करे और अपने परिवारजन को भी इस संबंध में प्रोत्साहित कर सके तथा समस्त विद्यालयों की 200 परिधि में सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री जोन घोषित करने के लिए निर्देशित किया गया ।

यहां उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्री पर्यावरण के प्रति संवेदनशील एवं जागरूक दिखे हैं इससे पहले विद्यालयों में वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाकर वृक्ष लगाओं प्रकृति बचाओं के लिए तत्पर रहे हैं ।राजस्थान में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 1 जुलाई 2022 से राज्य में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू किया गया है। इस प्रतिबंध के तहत प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स, गुब्बारों की प्लास्टिक डंडियां, प्लास्टिक झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां, पॉलीस्टाइरीन की सजावटी सामग्री, प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ आदि शामिल हैं।

शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री श्री मदन दिलावर ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने और प्लास्टिक एवं डिस्पोजल मुक्त जीवन जीने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को प्लास्टिक और डिस्पोजल सामग्री से दूर रहने का संकल्प दिलाया और गांवों में बर्तन बैंक बनाने तथा समारोहों में पत्तल जैसी पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया।

हालांकि, प्रतिबंध के बावजूद सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। पिछले दो वर्षों में राजस्थान में 181 टन प्रतिबंधित प्लास्टिक जब्त किया गया है, लेकिन इसका उपयोग अभी भी व्यापक रूप से देखा जा रहा है।

सरकार ने आमजन को इस प्रतिबंध के पालन में शामिल करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा विकसित ‘SUP-CPCB’ नामक ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग की सूचना फोटो सहित अपलोड कर सकता है, जिससे संबंधित विभाग कार्रवाई कर सके।

इन प्रयासों के बावजूद, सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। सरकार ने इसके पीछे जागरूकता की कमी और वैकल्पिक उत्पादों की उपलब्धता में चुनौतियों को मुख्य कारण बताया है।

सरकार और संबंधित विभागों द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें जन जागरूकता बढ़ाना, वैकल्पिक उत्पादों को प्रोत्साहित करना और सख्त निगरानी शामिल है।


राजस्थान सरकार ने RTE 2009 में किया संशोधन : अब 5वीं एवं 8वीं में फेल कर सकेगे जाने –निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार संशोधन नियम 2024 


समाप्त होगा उप प्रधानाचार्य पद :जाने पूरा  


एक नजर में प्लास्टिक के दुष्प्रभाव :

प्लास्टिक हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इसके नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • 1. पर्यावरणीय नुकसान :भूमि प्रदूषण: प्लास्टिक सैकड़ों वर्षों तक विघटित नहीं होता। यह मिट्टी की उर्वरता को कम करता है।
  • जल प्रदूषण: नदियों, झीलों, और महासागरों में प्लास्टिक का कचरा समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचाता है।
  • वायु प्रदूषण: प्लास्टिक के जलने से जहरीले रसायन जैसे डाइऑक्सिन्स और फ्यूरान्स निकलते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं।
  • 2. वन्यजीवन पर प्रभाव समुद्री जीवों पर असर: समुद्र में प्लास्टिक के छोटे कण (माइक्रोप्लास्टिक) मछलियों और अन्य समुद्री जीवों द्वारा खा लिए जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है।जानवरों की मृत्यु: प्लास्टिक कचरा खाने से जानवरों के पेट में रुकावट हो जाती है, जिससे उनकी मौत हो सकती है।
  • 3. स्वास्थ्य पर असर माइक्रोप्लास्टिक का खतरा: प्लास्टिक के छोटे कण पानी, हवा और खाने के जरिए हमारे शरीर में पहुंचते हैं, जिससे कैंसर, हार्मोन असंतुलन और अन्य बीमारियां हो सकती हैं रसायनों का रिसाव: प्लास्टिक उत्पादों से जहरीले रसायन निकलते हैं, जो शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • 4. पारिस्थितिक संतुलन का नुकसान प्लास्टिक कचरे के कारण पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होता है। खाद्य श्रृंखला में प्लास्टिक के प्रवेश से पूरी जैव विविधता पर खतरा मंडराता है।
  • 5. संसाधनों की बर्बादी :प्लास्टिक के उत्पादन में पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग होता है, जो एक सीमित संसाधन है।

समाधान:

  • पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग: प्लास्टिक का रिसाइक्लिंग और पुन: उपयोग को बढ़ावा देना।
  • वैकल्पिक सामग्री: कपड़े, कागज, बांस, और धातु जैसे पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों का उपयोग।
  • जागरूकता अभियान: प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करना।
  • प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। इससे न केवल पर्यावरण बल्कि मानव जीवन और पारिस्थितिकी को बचाया जा सकता है।

अन्य ख़बरें :

शिक्षा विभाग से बड़ा अपडेट

रूस का पलटवार  कीव शहर तबाह


 

प्लास्टिक प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पहल और समझौते किए गए हैं। इनमें प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं:

1. संयुक्त राष्ट्र के प्रयास (UN Initiatives)

  • यूएन प्लास्टिक प्रदूषण संधि (Plastic Pollution Treaty) -2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-5) ने प्लास्टिक प्रदूषण पर एक वैश्विक संधि बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसका उद्देश्य 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDGs) -यूएन के एसडीजी 12 (जिम्मेदार खपत और उत्पादन) और एसडीजी 14 (समुद्र और समुद्री जीवन का संरक्षण) प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने पर जोर देते हैं।

2. पेरिस समझौता और प्लास्टिक –

  • हालांकि पेरिस समझौता मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित है, लेकिन यह प्लास्टिक उत्पादन और इसके कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपायों का समर्थन करता है।

3. ग्लोबल प्लास्टिक टास्क फोर्स (Global Plastic Task Force)

  • विश्व स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यह टास्क फोर्स समुद्रों में प्लास्टिक कचरे को कम करने और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने पर काम करता है।

4. वैश्विक संगठन और पहलें

ओशन कंज़र्वेंसी (Ocean Conservancy)

  • यह संगठन समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए काम करता है और हर साल “इंटरनेशनल कोस्टल क्लीनअप” अभियान चलाता है।

एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन (Ellen MacArthur Foundation)

  • यह सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देता है और प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग और पुनर्चक्रण के लिए नई रणनीतियों पर काम करता है।

5. स्थानीय और क्षेत्रीय समझौते

  • यूरोपीय संघ (EU) का प्रतिबंध -यूरोपीय संघ ने 2021 में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक उत्पादों जैसे स्ट्रॉ, प्लेट, और कपों पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • आसियान प्लास्टिक पहल (ASEAN Plastic Initiative) -दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने समुद्री प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए इस पहल की शुरुआत की।

6. वैश्विक स्वच्छता अभियान (Global Cleanup Campaigns)

  • 2030 तक प्लास्टिक अपशिष्ट में कमी
  • कई देशों ने 2030 तक प्लास्टिक कचरे को 50% तक कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी -कोका-कोला, नेस्ले, और यूनिलीवर जैसे बड़े ब्रांड्स ने प्लास्टिक न्यूट्रल और पुनर्चक्रण योजनाएं शुरू की हैं।

7. महासागरों के लिए गठबंधन (Alliance to End Plastic Waste)

  • यह गठबंधन प्लास्टिक कचरे को कम करने और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए सरकारों, उद्योगों और गैर-सरकारी संगठनों को एक मंच पर लाता है।

8. बेसल कन्वेंशन (Basel Convention)

  • यह अंतर्राष्ट्रीय संधि प्लास्टिक कचरे के सीमा पार परिवहन और प्रबंधन को नियंत्रित करती है ताकि इसका पर्यावरणीय प्रभाव कम हो।

9. उन्नत तकनीकी समाधान

  • प्लास्टिक पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियां ।जापान, जर्मनी और स्वीडन जैसे देशों ने उन्नत पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों का विकास किया है।
  • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक -पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक विकसित करने के लिए कई देश अनुसंधान कर रहे हैं।

10. सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा

  • ग्रीनपीस (Greenpeace) -यह संगठन प्लास्टिक प्रदूषण पर जागरूकता बढ़ाने और प्लास्टिक उत्पादन को रोकने के लिए काम करता है।

निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारें, संगठन और नागरिक मिलकर काम कर रहे हैं। हालांकि, सफलता के लिए सभी देशों की भागीदारी और सख्त निगरानी आवश्यक है।

 

 

4 thoughts on “Education minister is strict about plastic usage”

  1. आज से 550 वर्ष पहले गुरु जंभेश्वर भगवान ने मानव मात्र को प्रकृति एवं पर्यावरण बचाने के लिए बहुत सारी जानकारी दी थी परंतु जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ आज केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व में पर्यावरण प्रदूषण की चिंता पर्यावरण को लेकर हरियाला राजस्थान घर घर पौधा वृक्षारोपण स्वच्छता के लिए समय-समय पर कार्यक्रम चलाएं एवं पॉलीथिनों का उपयोग बहुत ही ज्यादा किया जा रहा है इसे रोकने के लिए वर्तमान में शिक्षा मंत्री महोदय द्वारा शिक्षा विभाग मैं पॉलिथीन पर सख्त प्रतिबंध एवं पॉलीथिन मुक्त करने के लिए जो गाइडलाइन जारी की है एवं उसका भी विद्यालय स्तर से शुरुआत करने पर भारत के भविष्य युवा विद्यार्थियों को पर्यावरण का महत्व एवं पॉलीथिन से होने वाले दुष्प्रभाव की वास्तविक जानकारी मिलेगी एवं पर्यावरण सुरक्षा के लिए यह अभियान भी बहुत शानदार अच्छा परिणाम देगा मंत्री महोदय कोई से निर्णय ऐसे काम करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आभार

    Reply

Leave a Comment