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शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर बड़ी खबर,शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा ‘ मार्च में करेंगे स्थानांतरण ‘अब बोर्ड एग्जाम होने वाले

‘बालोतरा,राजस्थान। राजस्थान में सरकारी शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगी हुई है। इसे लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बालोतरा में कहा- इस साल लोकसभा, विधानसभा चुनाव और उपचुनाव के कारण तबादलों में देरी हुई। अब बोर्ड परीक्षाएं होंगी। अब 15 मार्च के बाद CM भजनलाल शर्मा से चर्चा कर शिक्षकों के ट्रांसफर मामले का समाधान किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर शनिवार को बालोतरा दौरे पर थे। इलाके के जसोल धाम में मंदिरों में दर्शन करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों के ट्रांसफर के सवाल पर कहा- राजस्थान में चुनावी प्रक्रिया के चलते तबादलों में देरी हुई। इस बार संयोग ऐसा रहा कि एक के बाद एक चुनाव आ गए। फिर अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं आ गईं।

अब विधानसभा चलने वाली है और बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं।तो क्या ऐसे समय में तबादले होने चाहिए? इसलिए शिक्षा विभाग का शिक्षकों के तबादले न करने का फैसला ठीक है। 15 मार्च के बाद मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे और शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करेंगे।

राजस्थान में ट्रांसफर को लेकर वस्तुस्थिति

राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर 7 साल से प्रतिबंध है। वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता और प्रिंसिपल के ट्रांसफर पर 2 साल से रोक है। यह स्थिति सरकार के सबसे बड़े माने जाने वाले शिक्षा विभाग की है।

4 लाख शिक्षकों का यह दर्द अब आक्रोश का रूप ले रहा है।शिक्षक संगठन तबादले नहीं खोलने के विरोध में उतर आए हैं।

ऐसा इसलिए भी कि भाजपा सरकार बनने के बाद हाल में दूसरी बार तबादलों से रोक हटाई गई, लेकिन शिक्षा विभाग को फिर छोड़ दिया गया। इस सरकार में 2024 में 10 से 20 फरवरी तक और अब 1 से 10 जनवरी तक रोक हटाई गई है। लेकिन शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक बरकरार है।

लंबे समय तबादलों के आवेदन पेंडिंग

राजस्थान के शिक्षा विभाग में 85 हजार आवेदन 3 साल से पेंडिंग हैं गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षामंत्री रहते अगस्त 2021 में एक बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों के लिए आवेदन लिए थे। तब 85 हजार शिक्षकों ने आवेदन किए। लेकिन, इन पर आज तक कोई निर्णय नहीं हुआ।

इसके बाद नवंबर 2021 में डोटासरा की जगह बीडी कल्ला शिक्षा मंत्री बने।कल्ला ने अगस्त 2022 से जनवरी 2023 तक शिक्षा विभाग में तबादले खोले थे। इस दौरान व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक, प्रिंसिपल के बड़ी संख्या में तबादले भी हुए।

इन तबादलों पर 15 जनवरी 2023 को रोक लगी थी। इसके बाद से दो साल से तबादले नहीं हुए।

तबादलों की नीति पर कोई ठोस निर्णय नहीं

कांग्रेस सरकार हो या भाजपा सरकार जो शिक्षकों की तबादला नीति बनाने की बात करती है, लेकिन आज तक तबादला नीति नहीं बनाई गई। पिछले दिनों मंत्री दिलावर ने भी नीति बनाने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक यह कागजों से बाहर नहीं निकली है।

तबादलों की नीति को लेकर उचित समाधान

राजस्थान में तबादलों की नीति लेकर ये समाधान हो सकतें हैं:

स्पष्ट और पारदर्शी तबादला नीति का निर्माण ऑनलाइन प्रक्रिया:

एक डिजिटल पोर्टल के माध्यम से तबादले की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की जाए। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और राजनीतिक हस्तक्षेप कम होगा।

स्पष्ट नियम और प्राथमिकता:

तबादला नीति में वरिष्ठता, स्वास्थ कारण, महिला शिक्षकों के पति-पत्नी मामलों और विकलांगता जैसे मानदंडों को प्राथमिकता दी जाए।

नियत समय पर तबादला

सत्र वार वार्षिक तबादला सत्र तय किया जाए, ताकि शिक्षकों को समय पर तबादले की प्रक्रिया का पता हो।परीक्षा सत्र के बाद तबादले किए जाएं, ताकि शैक्षणिक कार्य प्रभावित न हो।

शिक्षकों की संतुलित तैनाती

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की संख्या में संतुलन बनाए रखने के लिए अनिवार्य ग्रामीण सेवा लागू की जाए।नए भर्ती शिक्षकों को पहले पांच साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना अनिवार्य किया जाए।

डीपीसी प्रक्रिया में तेजी

लंबित विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें समय पर आयोजित की जाएं।प्रोन्नति के बाद तबादले की प्रक्रिया को स्वचालित रूप से लागू किया जाए।

शिकायत निवारण तंत्र

तबादलों से जुड़ी शिकायतों के लिए एक विशेष हेल्पलाइन और पोर्टल बनाया जाए।समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणाली लागू हो, ताकि शिक्षकों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।

पारदर्शिता के लिए थर्ड-पार्टी निगरानी

तबादला प्रक्रिया की थर्ड-पार्टी ऑडिट कराई जाए, ताकि गड़बड़ी को रोका जा सके।RTI (सूचना का अधिकार) के तहत जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

स्थाई नीति पर शिक्षकों का परामर्श

तबादला नीति बनाने में शिक्षक संघों और शैक्षणिक विशेषज्ञों की राय ली जाए।इससे नीति व्यवहारिक और संतुलित होगी।

विशेष श्रेणियों के लिए लचीली नीति

महिला शिक्षकों, विकलांग शिक्षकों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों के लिए विशेष प्रावधान बनाए जाएं।उनकी तैनाती घर के पास की जाए।

अंतर-जिला और अंतर-राज्य तबादले

शिक्षकों को अंतर-जिला तबादले की सुविधा दी जाए।अन्य राज्यों से राजस्थान में स्थानांतरित शिक्षकों के लिए भी स्पष्ट प्रक्रिया हो।

तबादलों में देरी रोकने के लिए जवाबदेही

अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए, ताकि तबादलों में राजनीतिक हस्तक्षेप और अनावश्यक देरी रोकी जा सके।समय सीमा का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो।

शिक्षा विभाग में उचित तबादला नीति पर अमल करके शिक्षा विभाग में तबादलों से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है। पारदर्शी, समयबद्ध और मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर शिक्षकों का विश्वास बहाल किया जा सकता है और शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होगा।

शिक्षक-कर्मचारियों के पद

कुल पद- 5,67,668 जिसमें भरे हुए पद- 4,18,549

प्रारंभिक शिक्षा में टीचर- 1,72,641

माध्यमिक शिक्षा में टीचर- 1,97,632

विभाग में कार्यरत टीचर- 3,70,273

ग्रेड थर्ड टीचर- 1,85,03 DPC की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी

पंचायती राज के मंत्रालय कर्मचारियों की डीपीसी (विभागीय प्रोन्नति समिति) को लेकर दिलावर बोले- मैंने हमेशा डीपीसी को प्राथमिकता दी है। शिक्षा विभाग में भी लंबित डीपीसी को पूरा किया गया है। पंचायती राज विभाग में भी डीपीसी की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, ताकि कर्मचारियों को उनके हक का फायदा मिल सके।

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