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पाठ्य-पुस्तक समीक्षा हेतु गठित समिति की बैठक संपन्न
जयपुर ,19 दिसंबर।शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में बुधवार को शिक्षा संकुल में पाठयपुस्तक समीक्षा समिति की दूसरी बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में समिति ने तीन उप समितियां गठित करने का निर्णय किया। इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने पाठ्यक्रम की विषय वस्तु आसान भाषा में रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ऐसा पाठ्यक्रम बने, जो आगामी पीढ़ी के नवनिर्माण में मील का पत्थर साबित हो ताकि राष्ट्र निर्माण नींव मजबूत हो।
बैठक में समिति के अध्यक्ष प्रो. कैलाश सोडाणी ने गत 25 नवंबर को आयोजित समिति की पहली बैठक का विवरण प्रस्तुत किया। वहीं समिति सचिव श्री सतीश गुप्ता ने बताया कि एनसीईआरटी के विशेषज्ञ शीघ्र ही जयपुर आएंगे और समिति के कार्यों का अवलोकन कर मार्गदर्शन करेंगे।

राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए 10 सदस्यीय समिति का गठन किया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देशानुसार, यह समिति कक्षा 1 से 8 तक के पाठ्यक्रम की समीक्षा करेगी और अपने गठन के 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
समिति का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के प्रावधानों के अनुसार सुझाव प्रस्तुत करना है, ताकि पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन किए जा सकें।
इस समिति के अध्यक्ष महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडाणी हैं, जबकि शिक्षा विद् हनुमान सिंह राठौड़ उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। अन्य सदस्यों में शिक्षण विधि विशेषज्ञ रामाकृष्ण राव, सतीश कुमार गुप्ता (सदस्य सचिव), प्रोफेसर प्रमेन्द्र कुमार दशोरा, प्रोफेसर भारत रामकुमार, श्याम सुंदर बिस्वा, जयंतीलाल खंडेलवाल, और कन्हैयालाल बेरीवाल शामिल हैं।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पहले प्राथमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम में गायों के बारे में जानकारी जोड़ने की योजना की घोषणा की थी, ताकि छात्रों की समझ बढ़ाई जा सके। इसके अलावा, उन्होंने मुगल सम्राट अकबर को ‘महान’ के रूप में महिमामंडन करने वाली किसी भी किताब को हटाने की बात कही थी।
इस समिति की सिफारिशों के आधार पर, राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता में सुधार हो सके।
पाठ्य पुस्तक समीक्षा बैठक होना भी अति आवश्यक है इस बैठक में नई शिक्षा नीति की पालना करते हुए मातृभाषा में शिक्षक द्वारा शिक्षण कार्य प्राथमिक स्तर तक करवाया जाएगा इसमें यदि पाठ्य पुस्तक के साथ पाठ एवं अध्याय के अनुसार वर्क बुक के रूप में सहायक पुस्तक दी जाए तो विद्यार्थी को समझ मैं सरलता रहेगी क्योंकि ग्रामीण इलाकों में गरीब असहाय मजदूर वर्ग के अधिकतर विद्यार्थियों द्वारा नोटबुक कक्षा स्तर के अनुरूप नहीं उपलब्ध करवाई जाती हैं जिसमें कक्षा के सभी विद्यार्थियों में सम्मान रूप से स्तर बनाने में शिक्षक को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है