Story – Sameliya dham bhilwara

religion place in Bhilwara

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मेजा बांध की तलहटी में स्थित महान् संत जांभोजी की तपोस्थली – सामेलिया धाम , भीलवाड़ा

भीलवाड़ा जिले के मांडल तहसील के समेलिया गांव में स्थित श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर, जिसे समेलिया धाम के नाम से भी जाना जाता है, बिश्नोई समाज की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है। यह मंदिर लगभग 450 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण मेवाड़ के महाराणा सांगा द्वारा 1649 ईस्वी में कराया गया था।

धार्मिक सद्भावना का अनूठा स्थल -महान् संत की यह तपोस्थली सांप्रदायिक सद्भावना का स्थल है यहां आस पास रहने वाले जाट , राजपूत सहित अन्य समाज के लोग इस स्थान पर आते हैं और पूजा करते हैं।

गुरु जम्भेश्वर भगवान, जिन्हें जाम्भोजी के नाम से भी जाना जाता है, बिश्नोई समाज के संस्थापक थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में विभिन्न स्थानों की यात्रा की और लोगों को अपने उपदेशों से जागरूक किया। भीलवाड़ा के मांडल क्षेत्र में उन्होंने एक वर्ष तक निवास किया और स्थानीय निवासियों को बिश्नोई धर्म की शिक्षा दी।

राणा सांगा उनके उपदेशों से प्रभावित होकर उन्हें धनराशि भेंट की, जिससे गुरु जाम्भोजी ने 103 बीघा भूमि पर एक विशाल तालाब खुदवाया, जिसे जम्भ सरोवर के नाम से जाना जाता है।

समेलिया धाम का मंदिर चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है, जिससे यह एक टापू जैसा प्रतीत होता है। मंदिर की नींव की गहराई उन्नीस गज और ऊंचाई इक्कीस गज है। मंदिर परिसर सवा तीन बीघा भूमि पर फैला हुआ है, जिसमें भगवान जम्भेश्वर का मंदिर, नौबतखाना, स्थवान घुड़साल और सूरजपोल दरवाजा शामिल हैं। मंदिर की दीवारों की चौड़ाई तीन फुट है और चारों ओर छह फुट ऊंचा पत्थर का परकोटा है। मंदिर की चित्रकारी और रंग-रोगन चार सौ वर्षों के बाद भी अपनी मौलिकता बनाए हुए हैं। वर्तमान में, मेजा बांध की डूब क्षेत्र में आने के कारण मंदिर के आसपास की भूमि पानी से घिरी रहती है, लेकिन मंदिर में पानी नहीं भरता।

मंदिर की पूजा-अर्चना की व्यवस्था पुनः स्थापित की गई है, और इसकी सुरक्षा एवं जीर्णोद्धार के लिए प्रयास जारी हैं। समेलिया धाम बिश्नोई समाज के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है और पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। यदि आप समेलिया धाम की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह स्थान भीलवाड़ा जिले के मांडल तहसील के समेलिया गांव में स्थित है। मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए कोई निर्धारित समय नहीं है, और यह स्थान वर्ष भर खुला रहता है। यहां पहुंचने के लिए आप भीलवाड़ा शहर से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।समेलिया धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण आगंतुकों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

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