sarpanches as administrators is challenged in Rajasthan High Court

सरपंचों को प्रशासक लगाने का मामला पहुंचा राजस्थान हाइकोर्ट,अब होगी इसकी सुनवाई

राजस्थान सरकार की ओर से सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाते हुए वर्तमान सरपंचों को राजस्थान में प्रशासक लगाने के आदेश को राजस्थान हाइकोर्ट में चुनौती दी गई है।

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कठूमर पंचायत समिति के पूर्व सरपंच प्रकाश कांकरोली की ओर से अधिवक्ता आरके गौतम व जीएस गौतम ने हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि सरपंच को 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रशासक लगा कर उसे वित्तीय अधिकार देना कानून के विरूद्ध है।

संविधान में पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल का निर्धारित किया हुआ है। पंचायती राज सेक्शन में यह स्पष्ट है कि किसी भी सूरत में पंचायती राज संस्था का कार्यकाल 5 वर्ष से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता।केवल 5 वर्ष की अवधि में राज्य सरकार को पंचायती राज संस्थान को किसी कारण से विघटन किया जाता है तो 6 माह पूर्व उसका गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित करवा कर विघटन किया जाकर प्रशासक लगाए जा सकते है।

सरकार ने बिना गजट नोटिफिकेशन जारी किए ओर 5 वर्ष के कार्यकाल के पूरे होने के बाद केवल अपने राजनीतिक फायदे को लेकर सरपंचों को प्रशासक लगाकर उप सरपंच और वार्ड मेंबर्स को कमेटी बनाकर प्रशासकीय ओर वित्तीय अधिकार देना नियम विरुद्ध है। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्य की 6,759 ग्राम पंचायतों में मौजूदा सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ (एक राज्य, एक चुनाव) की अवधारणा को लागू करना है, जिससे सभी पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें।

सरकार ने मौजूदा सरपंचों को उनकी संबंधित ग्राम पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया है। इससे पहले, प्रशासक के रूप में सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति की जाती थी।

प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर एक प्रशासनिक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें उप सरपंच और वार्ड पंच सदस्य शामिल होंगे। सरपंच प्रशासक के रूप में कार्य करते समय इस समिति से परामर्श करेंगे।

यह निर्णय मध्य प्रदेश मॉडल के तहत लिया गया है, जहां पहले से ही सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इससे राज्य में सभी पंचायती राज संस्थाओं के एक साथ चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त होगा।

सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में सरपंचों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे उनके संघर्ष का परिणाम माना है। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और अन्य मंत्रियों का धन्यवाद किया है। इस निर्णय के बाद, राज्य में पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, जो अप्रैल 2025 तक चलेगी। कुल मिलाकर, राजस्थान सरकार का यह कदम पंचायती राज संस्थाओं में स्थिरता लाने और चुनाव प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

अब देखना यह है कि राजस्थान उच्च न्यायालय इसमें क्या आदेश देता है इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी ।

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