नये साल में RBI बंद करने जा रहा है 3 तरह के बैंक खाते,

RBI ने बैंकिंग सिस्‍टम को और बेहतर बनाने के लिए इन अकाउंट्स को बंद करने के लिए कहा है. RBI का यह फैसला बैंकिंग ट्रांजेक्‍शन को अधिक सेफ, ट्रांसपेरेंट और प्रभावी बनाने के लिए लिया गया है.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

नए साल से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कुछ नियम में बदलाव करने जा रहा है. इसका असर देश के लाखों-करोड़ों बैंक अकाउंट्स पर पड़ने वाला है. क्‍योंकि देश का केंद्रीय बैंक तीन तरह के बैंक अकाउंट्स को बंद करने जा रहा है. RBI का सख्‍त निर्देश है कि इस तरह के बैंक अकाउंट्स बंद होने चाहिए. आइए जानते हैं कि ये कौन से बैंक अकाउंट हैं और रिजर्व बैंक इन अकाउंट्स को क्‍यों बंद कराना चाहता है.

बैंकिंग सिस्टम को सेफ और बेहतर बनाने के लिए आरबीआई ने तीन तरह के अकाउंट को बंद करने का फैसला किया है. RBI के नए दिशा-निर्देश के मुताबिक 1 जनवरी 2025 से डॉर्मेंट अकाउंट या निष्क्रिय खाता, इनएक्टिव अकाउंट और जीरो बैलेंस अकाउंट बंद हो जाएंगे. बैंकिंग सिक्योरिटी और डिजिटल फ्रॉड के खतरे को कम करने के लिए आरबीआई ने ये फैसला लिया है.

1. डॉर्मेंट अकाउंट या निष्क्रिय खाता

एक तरह का ऐसा अकाउंट होता है, जिसमें दो साल या उससे अधिक समय तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ हो.

2. इनएक्टिव अकाउंट

इसमें उन खातों को रखा जाता है, जिसमें पिछले 12 महीनों या उससे अधिक समय कोई लेने-देन या ट्रांसक्शन नहीं हुआ हो.

3.जीरो बैलेंस अकाउंट

वहीं लंबे समय तक शून्य बैलेंस बनाए रखने वाले अकाउंट जीरो बैलेंस अकाउंट कहलाते हैं.

इन खातों को बंद करने का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली पर दबाव कम करना और साइबर एवं वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाना है।

आरबीआई का कहना है कि इस तरह के अकाउंट साइबर अपराधियों के निशाने पर रहते हैं. आरबीआई ने इन अकाउंट्स का दुरुपयोग रोकने, वित्तीय जोखिम रोकने के लिए ये फैसला लिया है. अगर आपका बी कोई बैंक खाता इन तीनों कैटेगरी में से किसी में आता है तो बिना देर किए फौरन अपने बैंक से संपर्क करें और बैंक खाते का केवाईसी अपडेट करवाकर उसे एक्टिव करें. बता दें कि आरबीआई की ओर से बैंकों को लगातार इनएक्टिव बैंक खातों पर बंद करने की हिदायत दी जा रही है. बढ़ते डिजिटल साइबर क्राइम के मद्देनजर ये पहल की जा रही है.

यहां उल्लेखनीय है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) भारत का केन्द्रीय बैंक है, जिसे देश की मौद्रिक और वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करने और विनियमित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह 1 अप्रैल 1935 को स्थापित हुआ था और इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। पहले इसका मुख्यालय कोलकाता में था, जिसे 1937 में मुंबई स्थानांतरित किया गया।

इससे संबंधित मुख्य तथ्य

1. स्थापना: 1 अप्रैल 1935, RBI अधिनियम, 1934 के तहत।

2. मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र।

3. प्रारंभिक स्वामित्व: यह शुरुआत में एक निजी बैंक था, लेकिन 1 जनवरी 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और यह पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में आ गया।

4. गवर्नर: भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर इसका प्रमुख होता है।

5. लोगो: इसमें ताड़ का पेड़ और एक बाघ है।

प्रमुख कार्य

1. मुद्रा जारी करना:

भारत में मुद्रा छापने और उसे संचालित करने का एकमात्र अधिकार RBI के पास है।

2. मुद्रास्फीति नियंत्रण:

देश में मुद्रा प्रवाह और मौद्रिक नीति को नियंत्रित करके मुद्रास्फीति को संतुलित करता है।

3. वाणिज्यिक बैंकों का नियमन:

सभी बैंकों के कार्यों को विनियमित और निरीक्षण करना।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंधन:

विदेशी मुद्रा के भंडार का प्रबंधन और विनिमय दरों को स्थिर रखना।

5. वित्तीय स्थिरता: देश के वित्तीय ढांचे की स्थिरता बनाए रखना।

6. ग्राहक संरक्षण: उपभोक्ता शिकायतों का समाधान और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना।

विभाग और भूमिका

मौद्रिक नीति समिति (MPC):

यह समिति ब्याज दरों को तय करती है।

भुगतान और निपटान प्रणाली:

डिजिटल भुगतान प्रणाली को विकसित और विनियमित करता है।

राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन:

बैंकिंग सेवाओं को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने के लिए कार्यक्रम चलाता है।

रोचक तथ्य

भारतीय रिज़र्व बैंक,

IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की तर्ज पर बना था।

RBI का पहला गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ थे।

RBI का राष्ट्रीयकरण भारत के आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण कदम था

Leave a Comment