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भजन लाल सरकार के जिला निरस्त निर्णय के विरोध में अनिश्चितकालीन महापड़ाव आरंभ, प्रतिष्ठान बंद, सड़कों पर उतरे लोग

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सांचौर।स्थानीय संगठन और राजनीतिक दल भजन लाल सरकार के सांचौर जिला निरस्त करने के फैसले को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध करते हुए सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए तथा व्यापारी अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद कर अनिश्चितकालीन महापड़ाव में शामिल हो रहे हैं । व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। प्रमुख मांगों में सांचौर को पुनः जिला घोषित किया जाए,क्षेत्रीय विकास की गारंटी दी जाए,प्रशासन को जनता की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की गई।

यहां उल्लेखनीय है कि सांचौर , जो राजस्थान के जालोर जिले का हिस्सा था, 7 अगस्त 2023 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इसे एक नया जिला घोषित किया गया। इस घोषणा के तहत, सांचौर में रानीवाड़ा,चितलवाना, बागोड़ा क्षेत्र शामिल कर नवीन जिला बनाया गया तथा सांचौर जिले का मुख्यालय सांचौर शहर बनाया गया था नवीन जिला बनाने का उद्देश्य क्षेत्रीय विकास में तेजी लाना और प्रशासन को अधिक कुशल बनाना था।

लेकिन वर्तमान घटनाक्रम के तहत् 28 दिसंबर 2024 को भाजपा सरकार ने सांचौर को फिर से जालोर जिले में शामिल कर दिया। सरकार का तर्क था कि जिले का निर्माण मापदंड अनुसार नहीं किया गया तथा रानीवाड़ा और बागोड़ा क्षेत्रों के लोगों ने सांचौर में शामिल होने का विरोध करना , सरकार के लिए प्रशासनिक एवं आर्थिक जटिलताएं उत्पन्न होना जिसमें नए जिले के लिए आवश्यक संसाधनों और आधारभूत संरचनाओं की कमी होना बताया गया है।

परिणाम स्वरूप सरकार के इस फैसले से जनता की प्रतिक्रिया में 29 दिसंबर 2024 को सांचौर में पूर्णत: बंद का आयोजन किया गया।व्यापारियों, किसानों, और स्थानीय संगठनों ने फैसले का विरोध किया।साचौर के नागरिकों ने जिला बहाली की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। तथा 30 दिसंबर से महापड़ाव की घोषणा की गई है।

इधर राजनीतिक विवाद आरंभ:

कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस नेताओं ने इसे जनता के साथ विश्वासघात बताया। उनका कहना है कि यह फैसला जनता की जरूरतों और भावनाओं को नजरअंदाज करता है।

भाजपा का पक्ष

भाजपा सरकार का कहना है कि यह निर्णय क्षेत्रीय संतुलन और प्रशासनिक क्षमता को ध्यान में रखकर लिया गया है।

प्रभावित क्षेत्र और विवाद

रानीवाड़ा और बागोड़ा:इन क्षेत्रों के लोग पहले से ही जालोर से जुड़े होने के कारण, सांचौर में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे। साथ ही सरकार के इस निर्णय से नए जिले के रूप में सांचौर में बुनियादी ढांचे के विकास की उम्मीद थी, जो अब निरस्त होने के बाद धीमा हो सकती है। सांचौर जिला बनने और फिर निरस्त होने का यह घटनाक्रम प्रशासनिक और राजनीतिक जटिलताओं को उजागर करता है। स्थानीय जनता और संगठनों का मानना है कि यह क्षेत्र का विकास बाधित करेगा।

आगे की रणनीति

सांचौर जिला निरस्तीकरण के खिलाफ स्थानीय लोगों और संगठनों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन और धरना-प्रदर्शन की योजना बनाई है। यह रणनीति सरकार पर दबाव बनाने और सांचौर को पुनः जिला घोषित करवाने की मांग पर केंद्रित है।

धरना-प्रदर्शन की रणनीति

महापड़ाव का आयोजन सांचौर के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर समस्त संगठनों और व्यापार संघों का सहयोग,सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना।शांतिपूर्ण प्रदर्शन के जरिए जन समर्थन बढ़ाना।मांग पत्र और ज्ञापन सौंपना जिला प्रशासन और राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा।ज्ञापन में यह मांगें प्रमुख रहेंगी: सांचौर को पुनः जिला घोषित करना।क्षेत्र के विकास के लिए विशेष योजना बनाना।जनता की भावनाओं का सम्मान करना

सोशल मीडिया अभियान हैशटैग: #SaveSanchoreDistrict, #सांचौर_जिला_बहाल_करोव्हाट्सएप, फेसबुक, और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।धरने की तस्वीरें, वीडियो, और जनसंदेश साझा कर राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाया जाएगा।

समर्थन जुटाना राजनीतिक समर्थन:स्थानीय विधायक और सांसदों से समर्थन की मांग।विपक्षी दलों का सहयोग लेना।सामाजिक संगठन:किसान संगठनों, व्यापार मंडलों, और पंचायत समितियों का समर्थन।सामुदायिक भागीदारी:ग्रामीण क्षेत्रों के सरपंच और सामाजिक नेताओं की भागीदारी।

आर्थिक बंद और रैलियां सांचौर शहर और आसपास के क्षेत्रों में व्यापार बंद का आह्वान।शांतिपूर्ण रैलियां और पदयात्रा का आयोजन।इन गतिविधियों से सरकार का ध्यान आकर्षित करना।

जन जागरूकता अभियान गांव-गांव जाकर लोगों को सांचौर जिला बहाली की आवश्यकता समझाना।पोस्टर और पर्चे बांटकर लोगों को आंदोलन से जोड़ना।

कानूनी कार्रवाई का विकल्प राज्य उच्च न्यायालय में सरकार के निर्णय को चुनौती देना।जनहित याचिका (PIL) दायर कर सांचौर जिला बहाली की मांग।

इस प्रकार आने वाला समय ही यह बता पाएगा कि यह रणनीति कहा तक कारगर हो पाती है सरकार को निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर पाती है कि नहीं।सांचौर को पुनः जिला बनाकर क्षेत्रीय विकास को सुनिश्चित होगा या जालोर के साथ रहकर।

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