राजस्थान सरकार में मंत्री ही नहीं, 30 हजार पदों पर भी है नेताओं की निगाह, लगा रहे दिल्ली तक दौड़
Rajasthan Politics: अनुमान के मुताबिक, जिला स्तर समिति से लेकर राज्य स्तरीय बोर्ड या आयोग तक करीब 30 हजार से ज्यादा राजनीतिक पद हैं..
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Political Appointments in Bhajanlal government: भजनलाल सरकार के कार्यकाल का एक साल पूरा होने के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं. लेकिन इसी बीच सुगबुगाहट राजस्थान में सियासी नियुक्तियों को लेकर भी है.

प्रदेश में बहुत सारे बोर्ड, निगम और आयोग हैं जहां राजनीतिक नियुक्तियां की जाती हैं. इनमें से कई पद ऐसे होते हैं जिनका दर्जा मंत्री स्तर का होता है. राजस्थान में अगर एक अनुमान लगाया जाए तो ऐसे पदों की संख्या 30 हजार से ज्यादा है. हालांकि पहले की किसी भी सरकार में पूरी तरह से इन पदों को नहीं भरा गया था. पिछली सरकार में गुटबाजी झेल रही पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार ने अपने कार्यकाल में 3 साल के भीतर 15 हजार से ज्यादा नियुक्तियां दी. खास बात यह है कि सिर्फ नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं में सहवृत्त पार्षद के तौर पर 1936 नियुक्तियां की गई थी जबकि चुनाव घोषणा से पहले तक यह नियुक्तियों का दौर जारी रहा.ऐसे में बीजेपी (BJP) सरकार के लिए भी यह नियुक्तियां काफी खास हैं. क्योंकि 5 साल कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष में रहते हुए विरोध प्रदर्शन में लाठी खाने वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं को इन पदों पर नियुक्तियां का इंतजार रहता है. जबकि पार्टी के कई दिग्गजों के समर्थक भी सोशल मीडिया पर अपने नेता के लिए इन पदों की संभावना जाहिर कर रहे हैं.
राजस्थान लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति पदों पर भी गहलोत सरकार ने नियुक्तियों में राजनीतिक समीकरण का ध्यान रखा था. लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय इन संस्थाओं में भ्रष्टाचार और पेपरलीक के कई मामले सामने आए. |
लोकसभा चुनाव से पहले कई बोर्ड में नियुक्तियां कर चुकी है सरकार जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, एसटी आयोग, बाल आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, गौ-सेवा आयोग, ओबीसी आयोग, बीज निगम और खादी बोर्ड और समाज कल्याण बोर्ड समेत कई सियासी नियुक्तियां खास रहती है. जबकि इसी साल मार्च में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर की गई नियुक्तियों में
बोर्ड/आयोग | अध्यक्ष नियुक्त |
किसान आयोग | सी आर चौधरी |
जीव जंतु कल्याण बोर्ड अध्यक्ष | जसवंत सिंह विश्नोई |
विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड | रामगोपाल सुथार |
सैनिक कल्याण | प्रेम सिंह बाजौर |
एस सी आयोग | राजेन्द्र नायक |
देव नारायण बोर्ड | ओम प्रकाश भड़ाना |
माटी कला बोर्ड | प्रहलाद टांक |
गुटबाजी-असंतोष को दूर करने और संतुलन बनाने का भी तरीका दरअसल, इस नियुक्ति को सत्ता और संगठन में संतुलन के लिहाज से भी देखा जाता है. संगठन में जिम्मेदारी ना मिलने के बाद कार्यकर्ताओं को सरकार से आस होती है. वहीं, मंत्री पद की दौड़ से बाहर हो चुके विधायकों को साधने के लिए भी सियासी नियुक्तियां बेहद खास होती है. दरअसल, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, अलवर, सीकर, श्रीगंगानगर, भरतपुर, पाली समेत कई नगर विकास न्या (यूआईटी) या प्राधिकरण में चेयरमैन को कैबिनेट और स्टेट मिनिस्टर का दर्जा भी दिया जाता है. ऐसे में विधानसभा या लोकसभा चुनाव में हार झेल चुके कई नेताओं के लिए यह काफी अहम होता है.
इन नियुक्तियों में फूंक-फूंक कर कदम रखेगी सरकार वहीं, राजस्थान लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति पदों पर भी गहलोत सरकार ने नियुक्तियों में राजनीतिक समीकरण का ध्यान रखा था. लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय इन संस्थाओं में भ्रष्टाचार और पेपरलीक के कई मामले सामने आए. उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय जैसी यूनिवर्सिटी में कुलपति भी विवादों में घिरे थे. ऐसे में बीजेपी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में काफी सावधानी बरती है. सूत्रों की मानें तो इन संस्थाओं में विशुद्ध राजनीतिक नियुक्ति ना कर, सरकार शैक्षणिक पैमाने पर नए चेहरे ला सकती है.
अक्टूबर में खोला नियुक्तियों का पिटारा, 24 घंटे में सरकार ने निरस्त किया आदेश 2 महीने पहले अक्टूबर में बीजेपी सरकार ने बंपर नियुक्तियां कर दी थी. बीजेपी ने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बड़े पैमाने पर नियुक्ति देते हुए करीब 500 लोगों को 5 नगर निगम, 10 नगर परिषद और 63 नगर पालिका समेत प्रदेश के नगर निकायों में सहवृत्त पार्षद मनोनीत किया था. यह पहली बार था जब सत्ता में आने के बाद भजनलाल सरकार ने बड़ी संख्या में नियुक्ति दी थी. लेकिन 24 घंटे के भीतर ही इस आदेश को निरस्त कर दिया था.
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