महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के सरकारी विद्यालयों की समीक्षा हेतु कमेटी गठित, कमेटी के समीक्षा उपरांत लिया जाएगा निर्णय
जयपुर। भजन लाल सरकार ने अब पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के राजकीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में रूपांतरित करने के निर्णय की समीक्षा करने हेतु कमेटी गठित की गई है।इन विद्यालयों के रखने या नहीं रखना समीक्षा उपरांत निर्णय लिया जाएगा इस हेतु सरकार ने समीक्षा के लिए डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी हैं कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह, मदन दिलावर व सुमित गोदारा सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए है ।उक्त समिति का प्रशासनिक विभाग, विद्यालयी शिक्षा विभाग होगा तथा इसके सदस्य सचिव, शासन सचिव, विद्यालयी शिक्षा विभाग होगें।

इसका मुख्य कार्य पूर्व गहलोत सरकार द्वारा राज्य के सरकारी विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में किए गए रूपांतरण की समीक्षा कर उचित निर्णय लिये जाना है कि अंग्रेजी माध्यम में विद्यालय रखें जाए या पूर्ववर्ती सरकार के उस आदेश को निरस्त किया जाए।
यहां उल्लेखनीय है कि राजस्थान में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थापना की गई थी। हालांकि, वर्तमान भजनलाल सरकार ने इन स्कूलों की समीक्षा शुरू की है और इनको पुनः हिंदी माध्यम में परिवर्तित करने का विचार किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों की पहचान के लिए चार पृष्ठों का प्रारूप जारी किया है, जो मानकों या स्थानीय आवश्यकताओं के विपरीत स्थापित किए गए थे। इन स्कूलों को पुनः हिंदी माध्यम में परिवर्तित करने की योजना बनाई गई है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ‘एक राज्य, एक स्कूल यूनिफॉर्म’ नीति पर भी विचार कर रही है, जिससे सभी सरकारी और निजी स्कूलों में एक समान ड्रेस कोड लागू किया जा सके। इसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में एकरूपता लाना और अभिभावकों पर आर्थिक भार कम करना है।
इसी को लेकर उपमुख्यमंत्री बैरवा की अध्यक्षता में परिवर्तित करने के निर्णय की समीक्षा के लिए गठित की गई है।
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल राजस्थान सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऐसे सरकारी विद्यालय हैं, जहां शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है।
इन स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों में भी उच्च-गुणवत्ता वाली अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके, ताकि गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को भी समान अवसर मिल सकें।
विशेषताएं:
1. निःशुल्क शिक्षा: इन स्कूलों में शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त होती है।
2. इन्फ्रास्ट्रक्चर: स्कूलों में बेहतर भवन, स्मार्ट क्लासरूम, और आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
3. शिक्षक प्रशिक्षण: इन स्कूलों के शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे अंग्रेजी माध्यम से बेहतर तरीके से पढ़ा सकें।
4. समानता का प्रयास: गरीब परिवारों के बच्चों को प्राइवेट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बराबर शिक्षा का अवसर मिलता है।
5. को-करिकुलर गतिविधियां: स्कूलों में खेल, कला, और अन्य सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों पर भी जोर दिया जाता है।
उद्देश्य:
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना।
सरकारी स्कूलों की गिरती साख को सुधारना।
अंग्रेजी भाषा में दक्षता विकसित करना, जो आगे उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए आवश्यक है।
चुनौतियां:
शिक्षकों की कमी और उनका प्रशिक्षण।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभिभावकों द्वारा अंग्रेजी माध्यम को समझने में कठिनाई।
संसाधनों का सीमित उपयोग।
आधारभूत ढांचा एवं सुविधाएं उपलब्ध नहीं होना।
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में माना है, जो शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन भजनलाल सरकार ने कहां कि पूर्ववर्ती सरकार ने बिना कोई तैयारी के आनन -फानन में यह निर्णय लिया गया था, सरकार को पहले मानवीय एवं भौतिक संसाधनों को जुटाया जाकर उसके बाद निर्णय नहीं लिया। इसलिए इसकी समीक्षा करके इन विद्यालयों के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
