new income tax bill 2025

नया इनकम टैक्स बिल 2025: आज होगा पेश सदन में, 64 साल पुराने कानून की जगह लेगा,नया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट होगा, अब एक बार नया चुना तो नहीं बदल पाएंगे

नई दिल्ली।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश करेंगी। बुधवार को सांसदों को बिल की प्रति उपलब्ध कराई गई। इससे 64 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट में होने वाले बदलावों की झलक मिलती है।

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सरकार का दावा है कि यह मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 को सरल बनाकर आयकर कानून को आम लोगों के समझने योग्य बनाएगा और इससे जुड़ी मुकदमेबाजी को कम करने में मददगार होगा। मौजूदा आयकर कानून के हिसाब से 1961 से लेकर अब तक 66 बजट (लेखानुदान सहित) पेश हुए है।

नया इनकम टैक्स बिल मौजूदा इनकम टैक्स-1961 से आकार में छोटा है। हालांकि धाराएं व शेड्यूल ज्यादा हैं। 622 पत्रों के नए बिल में 23 चैप्टर में 536 धाराएं हैं और 16 शेड्यूल हैं, जबकि मौजूदा अधिनियम में 298 धाराएं, 14 शेड्यूल हैं।

नए बिल में क्या नया… वे प्वाइंट जिनसे नए इनकम टैक्स बिल को आसानी से समझ सकते

कैपिटल गेन पर एक समान कर

शेयर, रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड आदि पर कैपिटल गेन (पूंजी लाभ) में मौजूदा अलग अलग टैक्स ट्रीटमेंट के स्थान पर नए बिल में एक समान कर व्यवस्था रखी गई है।

क्रिप्टो पर फ्लैट 30% टेक्स

नए बिल में क्रिप्टो, एनएफटी सहित वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर फ्लैट 30 फीसदी कर का प्रावधान होगा। क्रिप्टो को हर लेनदेन पर 1% टीडीएस लागू होगा। इसमें अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी किस्म की कटौती या छूट की अनुमति नहीं होगी। रिटर्न में क्रिप्टो की रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी।

टैक्स ईयर

नए बिल में टैक्स ईयर का कॉन्सेप्ट है। मौजूदा कानून में असेसमेंट ईयर (निर्धारण वर्ष) और वित्त वर्ष (प्रीवियस ईयर) जैसी शब्दावली से करदाता को टैक्स जमा करते और रिटर्न फाइल करते समय भ्रम होता है टैक्स ईयर से आसानी होगी जिस वर्ष में कर अदा करेगा, उसी वर्ष उसका रिटर्न भी फाइल करेगा। हालांकि वित्त वर्ष के कॉन्सेप्ट में कोई अंतर नहीं है। वित्त वर्ष एक अप्रैल से 31 मार्च तक ही रहेगा।
उदाहरण के लिए 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक के लिए टैक्स ईयर 2025-26 होगा।मतलब फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को अब टैक्स ईयर कहा जाएगा।

ओल्ड रिजीम चुनने का विकल्प

रहेगा व्यक्तिगत करदाता, हिंदू अविभाजित परिवार व अन्य आयकरदाताओं के लिए नए टैक्स रिजीम का प्रस्ताव डिफॉल्ट के रूप में है। हालांकि उनके पास ओल्ड रिजीम चुनने का विकल्प भी रहेगा, लेकिन एक बार नया रिजीम चुन लिया तो विशेष परिस्थितियों के बिना पुराने रिजिम में नहीं लौट सकते।

छोटे वाक्यों का इस्तेमाल

इस बिल में छोटे वाक्यों का इस्तेमाल हुआ है। मौजूदा अधिनियम में चार-बार इस्तेमाल ‘फिर भी’ (नॉटविदस्टैंडिंग) शब्द हटाकर ‘भले ही’ (इरॅस्पेक्टिव) का इस्तेमाल है।

स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन

न्यू टैक्‍स बिल के तहत अगर आप एक सैलरीड हैं तो आपको पुराने टैक्‍स रिजीम के तहत 50,000 रुपये का स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन मिलता रहेगा, लेकिन अगर आप न्‍यू टैक्‍स रिजीम को चुनते हैं, तो फिर ये डिडक्शन आपके लिए 75,000 रुपये तक मिलेगा. इसके साथ ही न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में कोई चेंज नहीं होगा और बजट में घोषित की गई दरें ही यथावत रहेंगी।

CBDT को मिला ये अधिकार

न्यू टैक्स बिल में इनकम टैक्स, 1961 के मुकाबले किए गए बदलावों में अगला बड़ा चेंज केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी (CBDT) से जुड़ा हुआ है. बिल के मुताबिक, पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विभिन्न टैक्स स्कीम्स को शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था, लेकिन न्यू टैक्स एक्ट 2025 के मुताबिक, अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू करने का अधिकार दिया गया है। इसका मकसद नौकरशाही संबंधी देरी की समस्या को खत्म करना है।

कैपिटल गेन की दरें यथावत

ड्राफ्ट में शेयर बाजार के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा।इसके अलावा इसकी दरें भी समान रखी गई हैं. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फीसदी पर बरकरार रखा गया है, ज‍बकि लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन के तहत 12.5 फीसदी का टैक्‍स लागू होगा।

टैक्‍स चोरी पर पेनल्टी

New Tax Bill में टैक्स चोरी करने वालों पर और सख्ती व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और जुर्माना वसूला जा सकता है।अगर कोई व्यक्ति अपनी आय छिपाने का प्रयास करता है, तो उसका अकाउंट सीज किया जा सकता है।इसके अलावा गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगेगा।

टैक्स पेमेंट को पारदर्शी बनाने के लिए E-KYC अनिवार्य

केंद्र सरकार का नए टैक्स बिल के जरिए मौजूदा टैक्स प्रणाली को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाना मकसद है. इसके लिए ई-केवाईसी (e-KYC) और ऑनलाइन टैक्स भुगतान को अनिवार्य किया जा रहा है. ई-फाइलिंग (E-Filing) अनिवार्य होने से टैक्स भुगतान में पारदर्शिता बढ़ेगी.

एग्रीकल्‍चर इनकम पर टैक्‍स छूट

न्यू टैक्स बिल में कृषि आय (Agriculture Income) को कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त (Tax Free) रखा गया है। धार्मिक ट्रस्ट, संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर कर छूट मिलेगी।इसके साथ ही इलेक्‍ट्रोरल ट्रस्‍ट को भी टैक्‍स से छूट दी गई है।

टैक्स से जुड़े विवाद कम करने के लिए ये चेंज

1961 के टैक्स बिल में कई अस्पष्ट प्रावधानों के चलते टैक्सपेयर्स और सरकार के बीच विवाद देखने को मिलते रहे हैं और इनके चलते मुकदमेबाजी की संख्या भी लगातार बढ़ी है। New Tax Bill स्पष्ट नियमों और आसान शब्दों के साथ पेश किया जा रहा है, जिससे इसे समझना आसान होगा और साथ ही विवादों की संख्या में भी कमी आएगी।

नया कानून मध्यम वर्ग को साधने का प्रयास

नये बिल के मुताबिक़ नई टैक्स रिजीम में सालाना 12 लाख तक की आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। जानकारों के मुताबिक़ इस नए टैक्स से मध्यम वर्ग को सबसे ज़्यादा फ़ायदा होने जा रहा है।सैलरी क्लास के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 75 हज़ार रुपये ही रखा गया है, इस लिहाज़ से सैलरी क्लास की 12 लाख 75 हज़ार रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होगी।यानी जिस कर्मचारी की सालाना कमाई 12 लाख 75 हज़ार रुपये है, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा।

उदाहरण के तौर पर मानिए कि किसी शख़्स की सालाना आय 13 लाख रुपये है।

चूंकि पहले चार लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं है इसलिए इस स्लैब पर टैक्स नहीं देना है।

4 से 8 लाख रुपये के दायरे पर 5 फ़ीसदी टैक्स लगना है यानी चार लाख रुपए पर 5 फ़ीसदी के हिसाब से टैक्स हुआ 20 हज़ार रुपए।

फिर 8 लाख से 12 लाख रुपये पर टैक्स दर है 10 फ़ीसदी। इस ब्रेकेट में चार लाख रुपए पर 10 फ़ीसदी के हिसाब से टैक्स बना 40 हज़ार रुपए।

अब क्योंकि इस व्यक्ति की सालाना आमदनी 13 लाख रुपए है, इसलिए बचे हुए 1 लाख रुपए पर 15 फ़ीसदी के हिसाब से टैक्स बना 15 हज़ार रुपए।

इस तरह से इस शख्स की टैक्स देनदारी बनी – 20 हज़ार + 40 हज़ार + 15 हज़ार यानी 75 हज़ार रुपए।

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