महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय रिव्यू मीटिंग
MGGS सब कैबिनेट मीटिंग का आयोजन ,DCM प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में हुई पहली बैठक
जयपुर । शासन सचिवालय जयपुर में राजस्थान के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के संचालन एवं व्यवस्था को लेकर गठित उप-समिति की बैठक का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने की । इस दौरान कैबिनेट मंत्री श्री गजेन्द्र खींवसर जी, कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर, कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा उपस्थित रहे।

इस अवसर पर शिक्षा विभाग द्वारा विस्तृत प्रस्तुतीकरण (प्रेजेंटेशन) दिया गया तथा इसके संबंध में समस्त महत्वपूर्ण जानकारी समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। अब समिति इस विषय पर व्यापक समीक्षा करके उचित एवं समयानुकूल निर्णय लेगी।
प्राप्त जानकारी अनुसार शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि विद्यालयों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों एवं भावी योजनाओं के संबंध में समस्त महत्वपूर्ण जानकारी समिति के समक्ष रखी गई है। तथा समिति इस विषय पर व्यापक समीक्षा करके उचित एवं समयानुकूल निर्णय लेगी, जो विद्यालयों के समग्र विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

कम छात्र संख्या एवं संसाधनों का समुचित उपयोग को लेकर विद्यालय बंद का निर्णय
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के अनुसार, कई विद्यालयों में छात्रों की संख्या अत्यंत कम थी, जिससे उनकी संचालन लागत अधिक हो रही थी। कुछ विद्यालयों में केवल 5 छात्र और 5 शिक्षक थे, जो संसाधनों का असमान उपयोग दर्शाता है।
सरकार का मानना है कि विद्यालयों के विलय से शिक्षकों और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। इसलिए, कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में मर्ज किया जा रहा है।
भजनलाल सरकार के इस फैसले पर विपक्ष की पार्टी कांग्रेस ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे ग्रामीण शिक्षा के लिए हानिकारक बताया है। उनका कहना है कि विद्यालय बंद करने से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर प्रभावित होगा और छात्रों को दूरस्थ विद्यालयों में जाने में कठिनाई होगा।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने एक भी विद्यालय को पूर्ण रूप से बंद नहीं किया है, बल्कि उन्हें अन्य विद्यालयों के साथ मर्ज किया गया है। इससे शिक्षकों और संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित होगा और छात्रों को बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं मिलेंगी।
सरकार का मानना है कि यह निर्णय शिक्षा प्रणाली में सुधार और संसाधनों के प्रभावी उपयोग की दिशा में उठाया गया कदम है । हालांकि, विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस पर चिंता व्यक्त की है। लेकिन यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि सरकार इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू कर पाती है कि नहीं जिससे छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुए बिना उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकें।