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Budget 2025 में मिलेगा खुश होने का मौका, Income Tax पर कुछ राहत दे सकती है सरकार

Income Tax Relief: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। इस दौरान वह इनकम टैक्स में छूट की घोषणा कर सकती हैं। माना जा रहा है कि इसे लेकर सरकार में सहमति बन गई है।

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Budget 2025: आने वाले आम बजट में सरकार टैक्स पेयर्स को बड़ी खुश खबरी दे सकती है। ऐसी खबरें हैं कि 15 लाख रुपये तक सालाना कमाने वालों को इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है। इसका मकसद एक तीर से दो निशाने साधना बताया जा रहा है।

कितनी मिलेगी छूट?

 

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दो सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि केंद्र सरकार 15 लाख तक की आमदनी वालों को आयकर में छूट देने पर विचार कर रही है। हालांकि, इनकम टैक्स में कितनी छूट मिलेगी यह अभी स्पष्ट नहीं है। इसका फैसला बजट से पहले लिया जा सकता है। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी।

 

PM को दिया था सुझाव

 

हाल ही प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने पीएम मोदी को आयकर की दरों में कटौती करके आम लोगों पर टैक्स का बोझ कम करने का सुझाव दिया था। ये सुझाव अर्थशास्त्रियों और विभिन्न सेक्टरों के प्रमुख एक्सपर्ट्स से पीएम की मुलाकात के दौरान दिया गया था। एक्सपर्ट्स ने आयकर कटौती के अलावा कस्टम की दरों में संतुलन बनाने और निर्यात बढ़ाने के उपाय करने पर भी जोर दिया।

 

नया इनकम टैक्स एक्ट आयकर दरों में छूट के अलावा सरकार नया इनकम टैक्स एक्ट बनाने पर भी काम कर रही है। वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में आयकर अधिनियम पर समग्र पुनर्विचार की घोषणा की थी। बाद में मुख्य आयकर आयुक्त वीके गुप्ता की अगुआई में रिव्यू कमिटी भी बनाई गई, जिसकी रिपोर्ट आम बजट से पहले आने की संभावना है।

 

कितना लगेगा समय?

 

माना जा रहा है कि नया इनकम टैक्स एक्ट आगामी बजट में पेश किया जा सकता है। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नया आईटी एक्ट तैयार होने में एक साल से अधिक का वक्त लग सकता है। चूंकि यह बिल्कुल नया आयकर अधिनियम होगा, ऐसे में उसके हिसाब से मौजूदा सिस्टम को भी अपग्रेड करना होगा। नए नियम बनेंगे, नए फॉर्म लाए जाएंगे। उन्हें सिस्टम में इंटीग्रेट करके टेस्टिंग की जाएगी। इन सभी कामों में समय लगेगा।

 

सरकार की रणनीति

 

कहा जा रहा है कि मोदी सरकार इनकम टैक्स में छूट देकर दो मोर्चों पर स्थिति मजबूत करना चाहती है। एक तरफ वह आम टैक्स पेयर्स की लंबे समय से राहत देने की मांग पूरा करना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना चाहती है। इकॉनमी में पिछले कुछ समय में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं आई है।

 

यह है चिंता की वजह

 

जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में 5.4 फीसदी की ग्रोथ हुई है जबकि इससे पिछली जून तिमाही में 6.7 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई थी। हाल ही में एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भी आर्थिक वृद्धि का अपना अनुमान घटाया है। पहले जहां उसने 7 प्रतिशत की ग्रोथ का अनुमान लगाया था, अब इसे घटाकर 6.5 कर दिया है। आरबीआई भी मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ अनुमान पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 कर चुका है।

 

भारत में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए आयकर व्यवस्था में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आयकर स्लैब और प्रावधानों में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं।

नई कर व्यवस्था (धारा 115BAC):

 

वित्त अधिनियम 2023 के अनुसार, निर्धारण वर्ष 2024-25 से धारा 115BAC के प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जिससे नई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था बन गई है। हालांकि, पात्र करदाताओं के पास नई कर व्यवस्था से बाहर निकलने और पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर लगाए जाने का विकल्प है।

आयकर स्लैब (वित्तीय वर्ष 2024-25):

नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब निम्नलिखित हैं:

कुल वार्षिक आय ₹ कुल दर %
0-3,00,000 Nil
3,00,001-7,00,000 5%
7,00,001-10,00,000 10%
10,00,001-12,00,000 15%
12,00,001-15,00,000 20%
Above 15,00,001 30%
new slab fy 2024-25

यदि आपकी वार्षिक आय ₹7 लाख तक है, तो नई कर व्यवस्था के तहत आपको कोई कर नहीं देना होगा।

नई कर व्यवस्था में स्टेंडर्ड छूट 75000 के अलावा कोई छुट नहीं है।

 

पुरानी कर व्यवस्था:

यदि आप पुरानी कर व्यवस्था का चयन करते हैं, तो आप विभिन्न कटौतियों और छूटों का लाभ उठा सकते हैं, जैसे कि धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती, गृह कर ब्याज राशि,HRA, LTA आदि। हालांकि, पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब नई कर व्यवस्था से भिन्न होते हैं।

 

महत्वपूर्ण बिंदु:नई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट है, लेकिन आप पुरानी कर व्यवस्था का चयन कर सकते हैं।कर व्यवस्था का चयन करते समय अपनी आय, निवेश और उपलब्ध कटौतियों का मूल्यांकन करें।सटीक कर गणना और योजना के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या किसी कर विशेषज्ञ से परामर्श लें।अधिक जानकारी और विवरण के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

 

आयकर गणना के लिए क्लिक करें:

आयकर गणना केलकुलेटर

 

पुरानी (ओल्ड) और नई कर व्यवस्था में से कौन-सी उपयुक्त है, यह आपकी व्यक्तिगत आय, खर्च, और निवेश योजनाओं पर निर्भर करता है।

 

नीचे दोनों व्यवस्थाओं की तुलना दी गई है, जिससे आप अपनी स्थिति के अनुसार सही विकल्प चुन सकते हैं:—

पुरानी कर व्यवस्थालाभ:

1. कटौती और छूट का लाभ:धारा 80C: ₹1.5 लाख तक (PF, LIC, ELSS, PPF, आदि)।धारा 80D: स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम।HRA (हाउस रेंट अलाउंस) और LTA (लीव ट्रैवल अलाउंस)।गृह ऋण पर ब्याज छूट।

2. उच्च आय वालों को छूट का लाभ लेकर कर बचाने का अवसर मिलता है।

सीमाएं:कर की गणना जटिल है।निवेश और खर्च के लिए नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

 

नई कर व्यवस्था लाभ:

1. सरल कर गणना: बिना छूट और कटौती के दरें कम रखी गई हैं।

2. ₹7 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं (रिबेट के कारण)।

3. कोई अनिवार्य निवेश की आवश्यकता नहीं है।

 

सीमाएं:कोई अतिरिक्त कटौती या छूट उपलब्ध नहीं है।उच्च आय वालों को कटौती के अभाव में अधिक कर देना पड़ सकता है।

 

कौन-सी व्यवस्था चुनें?नई कर व्यवस्था उपयुक्त है यदि:आपका वेतन साधारण है और आप कटौती के लिए बहुत अधिक निवेश नहीं करते।आप सरल और सीधी कर गणना चाहते हैं।आपकी आय ₹7 लाख तक है।

 

पुरानी कर व्यवस्था उपयुक्त है यदि:आप विभिन्न कटौतियों और छूटों का भरपूर लाभ उठाते हैं।आपकी आय अधिक है और आप निवेश में रुचि रखते हैं।HRA, LTA और अन्य अलाउंस के तहत छूट लेना चाहते हैं।

 

उदाहरण:यदि आपकी आय ₹10 लाख है और आप पुरानी कर व्यवस्था में धारा 80C और अन्य कटौतियों का लाभ लेते हैं, तो आप ₹1.5-2 लाख तक की कटौती प्राप्त कर सकते हैं।

वहीं नई कर व्यवस्था में आपको कोई छूट नहीं मिलेगी, लेकिन दरें कम हैं।

सटीक गणना के लिए किसी कर सलाहकार की मदद लें या आयकर कैलकुलेटर का उपयोग करें।

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