नहीं रहे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह,राष्ट्रीय शोक घोषित
Ex.PM Dr MANMOHAN SINGH
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार थे , 26 दिसंबर 2024 को अपने निवास पर अचानक बेहोश हो गए, जिसके बाद वे अस्पताल में भर्ती थे जोकि 26 दिसंबर को उनका निधन हो गया।
डॉ. सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक सुधार किए। उनकी विद्वता और सादगी के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है और इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। केंद्र ने शुक्रवार को सारे सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आज सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक होगी।
जीवन परिचय: Dr Manmohan Singh Ex.PM

भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह विचारक और विद्वान के रूप में प्रसिद्ध थे वह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के एक गाँव में हुआ था। डॉ. सिंह ने वर्ष 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल किया। उन्होंने अपनी पुस्तक “भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं” में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी।
पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में डॉ. सिंह ने शिक्षक के रूप में कार्य किया जो उनकी अकादमिक श्रेष्ठता दिखाता है। इसी बीच में कुछ वर्षों के लिए उन्होंने यूएनसीटीएडी सचिवालय के लिए भी कार्य किया। इसी के आधार पर उन्हें 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
1971 में डॉ. सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई। डॉ. सिंह ने वित्त मंत्रालय के सचिव; योजना आयोग के उपाध्यक्ष; भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष; प्रधानमंत्री के सलाहकार; विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
डॉ सिंह ने 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया जो स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था। आर्थिक सुधारों के लिए व्यापक नीति के निर्धारण में उनकी भूमिका को सभी ने सराहा है। भारत में इन वर्षों को डॉ. सिंह के व्यक्तित्व के अभिन्न अंग के रूप में जाना जाता है।
डॉ. सिंह को मिले कई पुरस्कारों और सम्मानों में से सबसे प्रमुख सम्मान है भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987); भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार; कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)। डॉ. सिंह को जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफ़ोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियाँ प्रदान की गई हैं।
डॉ. सिंह ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने 1993 में साइप्रस में राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है।
अपने राजनीतिक जीवन में डॉ. सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे जहाँ वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।डॉ. सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं।
राजनीतिक उपलब्धियां
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के 14वें प्रधानमंत्री, ने 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल पूरे किए। वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और कुशल राजनेता थे। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज की गईं, जिनमें से प्रमुख हैं:
1. आर्थिक सुधार और विकास:
1991 में, जब वे वित्त मंत्री थे, उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारा। उनके नेतृत्व में भारत में निवेश और व्यापार के लिए वैश्विक अवसर खोले गए।
प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने भारत की GDP को एक मजबूत गति प्रदान की, जिससे देश को एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में देखा गया।
2. सामाजिक योजनाएं:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA): यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित करने के लिए लाई गई।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM): ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए यह योजना लागू की गई।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Food Security Act): गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए इसे लागू किया गया।
3. परमाणु समझौता:
2008 में, डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका के साथ ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौता किया। यह समझौता भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि साबित हुआ और भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु व्यापार में प्रवेश दिलाया।
4. शिक्षा और तकनीकी विकास:
शिक्षा के अधिकार (Right to Education) को लागू किया गया, जिससे बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला।
तकनीकी और आईटी क्षेत्र में बड़े निवेश और नीतियां बनाई गईं, जिससे भारत वैश्विक IT हब के रूप में उभरा।
5. विदेश नीति:
पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे मंचों पर भारत की उपस्थिति को मजबूत किया।
6. आतंकवाद और सुरक्षा:
मुंबई हमले (2008) के दौरान उन्होंने संयम और दृढ़ता दिखाई। उनकी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की क्षमताओं को बढ़ाया।
डॉ. मनमोहन सिंह का नेतृत्व एक कुशल अर्थशास्त्री और दूरदर्शी नेता के रूप में जाना जाता है। उनके कार्यकाल में आलोचनाएं भी हुईं, जैसे घोटालों के आरोप, लेकिन उनकी सादगी और निस्वार्थ सेवा की हमेशा सराहना की जाती है।
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