Delhi elections: Arvind Kejriwal accepts his party’s defeat

दिल्ली चुनाव: अरविंद केजरीवाल ने आप पार्टी की हार स्वीकारी, बीजेपी को लेकर दिया बड़ा बयान

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नई दिल्ली।दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी की हार स्वीकार कर ली है।

एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “जनता का फ़ैसला सर माथे पर। हम पूरी विनम्रता से अपनी हार स्वीकार करते हैं।मैं बीजेपी को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि जनता ने जिन उम्मीदों के साथ उन्हें चुना है वो उन उम्मीदों को पूरा करेंगे।”

केजरीवाल ने आगे कहा, “जनता ने हमें 10 सालों तक जो मौक़ा दिया उसमें हमने काफ़ी काम करने की कोशिश की। शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने की कोशिश की।हम आगे भी जनता के लिए काम करते रहेंगे और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।”

उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा, “आप लोगों ने तमाम तक़लीफ़ें झेलते हुए भी बेहतरीन तरीक़े से चुनाव लड़ा. आपने बहुत मेहनत की। “

केजरीवाल, मनीष सिसोदिया,अवध ओझा समेत बड़े दिग्गज धराशाही

दिल्ली चुनाव में भाजपा ने 27 साल बाद वापसी कर ली है।अरविंद केजरीवाल और आप के कई दिग्गज नेता चुनाव हार चुके हैं।भाजपा के प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4089 वोटों से हरा दिया। अब सवाल है कि आखिर अरविंद केजरीवाल की हार हुई कैसे?

अरविंद केजरीवाल की हार के पीछे भाजपा की वह चाल है, जो 5 फरवरी से चार दिन पहले चली गई थी। बजट सत्र वाले दिन का पहला दिन यानी 1 फरवरी को बजट जब बजट पेश हुआ तो मोदी सरकार ने अपने तरकश से एक ऐसी तीर चलाई जो सीधे जाकर निशाने पर लगी। जी हां, वह तीर थी इनकम टैक्स में छूट. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस दिन ऐलान किया था कि 12 लाख की कमाई पर अब कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा। बस इसी ऐलान ने अरविंद केजरीवाल के हार की पटकथा लिख दी।अब इसे समझने के लिए नई दिल्ली विधानसभा सीट के वोटरों के बारे में जानना होगा।

मनीष सिसोदिया ने हार मानी।अब तक के रुझानों में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है और 48 सीटों पर आगे चल रही है।

जबकि आम आदमी पार्टी सिर्फ़ 22 सीटों पर आगे चल रही है.आप के कई बड़े नेता या तो पीछे चल रहे हैं या चुनाव हार चुके हैं.ख़ुद अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी के प्रवेश वर्मा से लगभग चार हज़ार वोट से पीछे चल रहे हैं.जंगपुरा सीट से आप उम्मीदवार मनीष सिसोदिया और पटपड़गंज सीट से आप उम्मीदवार अवध ओझा ने अपनी हार स्वीकार कर ली है.जंगपुरा से भारतीय जनता पार्टी के तरविंदर सिंह मारवाह ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 675 वोट से हरा दिया.

पटपड़गंज से आप उम्मीदवार अवध ओझा ने हार स्वीकार कर ली हैअवध ओझा ने कहा, “जनता ने सम्मान दिया और मैं दूसरे स्थान पर हूँ. पहली बार राजनीतिक पारी शुरू की और मैं इस उपलब्धि से खुश हूँ.”वहीं सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश सीट से बीजेपी की शिखा रॉय से 3,188 वोट से हार गए हैं.लक्ष्मीनगर से भारतीय जनता पार्टी के अभय वर्मा ने आम आदमी पार्टी के बी बी त्यागी को 11,542 वोट से हरा दिया.वहीं त्रिलोकपुरी सीट से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार अंजना पारचा पीछे चल रही हैं.कोंडली से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने भारतीय जनता पार्टी की प्रियंका गौतम को 6,293 वोट से हरा दिया है।

आतिशी ने विधूड़ी को हराया

कालका जी सीट से आम आदमी पार्टी की नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी के रमेश बिधूड़ी से 3,521 वोट से हरा दिया है।

यहां अलका लांबा कांग्रेस की उम्मीदवार हैं।चुनाव प्रचार के दौरान आतिशी और रमेश विधूड़ी के बीच तीख़ी बयानबाज़ी देखी गई थी।बिधूड़ी ने आतिशी के सरनेम संबंधी टिप्पणी की थी जिसके बाद आतिशी एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में रो पड़ी थीं।

वहीं करावल नगर सीट से बीजेपी उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने आप के मनोज त्यागी को 23,355 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया.कपिल मिश्रा पहले आम आदमी पार्टी में थे।

पार्टियों को मिले वोट

अब तक हुई मतगणना के मुताबिक़ भारतीय जनता पार्टी को 45.84 प्रतिशत वोट और आम आदमी पार्टी को 43.70 प्रतिशत वोट मिले हैं।कांग्रेस को 6.39 प्रतिशत वोट मिले हैं। बीएसपी, एआईएमआईएम, जनता दल यूनाइटेड में कोई भी एक फ़ीसदी वोट तक नहीं पहुंच पाया है।अन्य उम्मीदवारों को सिर्फ 0.74 फ़ीसदी वोट मिले हैं।

मुस्तफाबाद सीट से रूझान

मुस्तफा बाद सीट की की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि यहां से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगों के अभियुक्त ताहिर हुसैन को उम्मीदवार के तौर पर उतारा था।मुस्लिम बहुल इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के मोहन सिंह बिष्ट ने आम आदमी पार्टी के आदिल अहमद ख़ान को 17,578 वोट से हरा दिया।एआईएमआईएम के ताहिर हुसैन को 33474 वोट मिले और वो तीसरे नंबर पर रहे।

दिल्ली का राजनैतिक सफर

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आप विधानसभा चुनाव में उतरी और उसने अपने पहले ही चुनाव में 70 में 28 सीटें जीती थीं।वहीं बीजेपी ने 30 से अधिक सीटें जीती थीं।इसके बाद तो वो दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई।

2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपने दम पर बहुमत मिला था।वहीं साल 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.दिल्ली की कमान अब तक तीन पार्टियों – कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के हाथ में ही रही है। कांग्रेस 19 साल और भाजपा पांच साल सत्ता में रही।वहीं पिछले दस साल से आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज़ है.बीजेपी दिल्ली में 1993 से 1998 के बीच सत्ता में रही. हालांकि इस दौरान उसके तीन मुख्यमंत्री रहे।

बीजेपी ने 1993 में दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव जीता और मदन लाल खुराना के नेतृत्व में सरकार बनाई, लेकिन पांच साल के भीतर, पार्टी ने तीन मुख्यमंत्रियों को चुना लेकिन हर एक को विवादों और अंदरूनी लड़ाई का सामना करना पड़ा।

1998 के चुनावों में भाजपा की सीटों की संख्या में गिरावट देखी गई, जबकि शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आई। शीला दीक्षित 15 साल (1998-2013) तक मुख्यमंत्री रहीं।

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