A fair is organized in a village on Republic Day in honour of Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी के सम्मान में गणतंत्र दिवस पर एक गांव में लगता है मेला, निकलती है “गांधी बाबा यात्रा”

भारत का एक ऐसा गांव जिसमें पिछले 70 वर्षों से गणतंत्र दिवस पर महात्मा गांधी के सम्मान में वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। तीन दिन के इस समारोह में गांव की सड़कों पर रंग बिरंगी झालरें और घरों के सामने रंगोली बनाई जाती है। मेले में कृषि प्रदर्शनी, प्रतियोगिताएं, कुश्ती मैच और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। यह गांव है महाराष्ट्र के लातूर में उजेड़ गांव।

Republic day

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लातूर (महाराष्ट्र), 24 जनवरी‌। अधिकांश गांव के लोग देवी- देवताओं को समर्पित मेलों का आयोजन करते हैं, वहीं महाराष्ट्र के लातूर जिले के उजेड गांव के निवासी पिछले 70 वर्षों से गणतंत्र दिवस पर महात्मा गांधी के सम्मान में वार्षिक मेले का आयोजन करते आ रहे हैं।शिरूर अनंतपाल तहसील में 25 जनवरी से तीन दिवसीय “गांधीबाबा यात्रा” का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिन तक गांव की सड़कों के दोनों तरफ रंग बिरंगे झालर लगाए जाते हैं और हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती है।

mahatma gandhi

राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान में पिछले 70 वर्षों से उजेड के निवासी इस मेले के माध्यम से गणतंत्र दिवस मनाते आ रहे हैं। गांव की सरपंच द्वारा एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए ग्राम पंचायत कार्यालय में स्थित गांधीजी की प्रतिमा को गांव के चौराहे तक लाया जाता है।मेले में कृषि प्रदर्शनी, बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं, कुश्ती मैच और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।

इस अनोखे आयोजन की शुरुआत के बारे में मेला समिति के अध्यक्ष के अनुसार पहले गांव में भगवान शिव और मोइद्दीनसब खादरी को समर्पित मेले आयोजित किए जाते थे। हालांकि, 1948 में इसे बंद कर दिया गया और 1954 तक उजेड में कोई आयोजन नहीं हुआ।

बकौल समिति अध्यक्ष के अनुसार, 1955 में गांव के बुजुर्गों ने एक ऐसा मेला आयोजित करने का निर्णय लिया, जो धार्मिक आधार पर नहीं होगा। तभी उन लोगों को गणतंत्र दिवस पर गांधीजी की विरासत का जश्न मनाने का विचार आया, ताकि एकता, शांति और सद्भाव के मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सके, जिनके लिए वह खड़े थे।

यह मेला कोरोना महामारी के दो वर्षों को छोड़कर, हर साल गांव में मेले का आयोजन किया जाता है। 27 जनवरी को मेले का समापन कुश्ती प्रतियोगिता के साथ होता है । कुश्ती देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

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