रूस ने 100 ड्रोनों से यूक्रेन पर किया हमला
यूक्रेनी सेना ने बताया कि बीती रात रूस ने करीब 100 ड्रोनों से यूक्रेन पर हमला किया जिनमें से उसने 52 को मार गिराया। यूक्रेनी सेना के मुताबिक, 44 ड्रोन को वह ट्रैक नहीं कर पाई और एक ड्रोन बेलारूस चला गया। यूक्रेन के अनुसार, रूसी हमले में कुछ निजी व्यवसायिक प्रतिष्ठान और इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
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कीव, 22 दिसंबर (रॉयटर्स) – यूक्रेन की वायु रक्षा ने रविवार को कहा कि रात भर में लॉन्च किए गए 103 रूसी ड्रोन में से 52 को यूक्रेन की सेना ने मार गिराया है।

ड्रोन से ली गई तस्वीर में डोनेट्स्क के टोरेत्स्क शहर में रूसी सैन्य हमलों के कारण आवासीय और प्रशासनिक इमारतें क्षतिग्रस्त और नष्ट होती दिखाई दे रही हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच…
सेना ने टेलीग्राम पर कहा कि उसने 44 ड्रोन का पता नहीं लगाया है और एक अन्य यूक्रेन के क्षेत्र से बेलारूस चला गया है।
सेना ने शेष ड्रोन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

हालांकि, उन्होंने कहा कि खेरसॉन, मायकोलाइव, चेर्निहाइव, सुमी, ज़ाइटॉमिर और कीव क्षेत्रों में, रूसी हमले से निजी व्यवसाय और अपार्टमेंट इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं।
सेना ने कहा, “संभवतः कोई हताहत नहीं हुआ।” स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि गिराए गए ड्रोन में से एक का मलबा कीव क्षेत्र में एक बहुमंजिला इमारत की छत पर गिर गया, जिससे आग लग गई।
रूस-यूक्रेन युद्ध, जो फरवरी 2022 में शुरू हुआ, एक व्यापक भू-राजनीतिक संघर्ष है जिसमें रूस और यूक्रेन के बीच गहरी राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य टकराव शामिल हैं। यह युद्ध शीत युद्ध के बाद के यूरोपीय सुरक्षा ढांचे और रूस-नाटो संबंधों के केंद्र में है। इसे समझने के लिए, इसके प्रमुख पहलुओं को विस्तार से जानना आवश्यक है।
युद्ध की पृष्ठभूमि
1. यूक्रेन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
यूक्रेन एक ऐसा देश है जो सोवियत संघ का हिस्सा था। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, यूक्रेन स्वतंत्र हुआ।
रूस और यूक्रेन के सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध गहरे रहे हैं।
2. क्राइमिया का अधिग्रहण (2014):
2014 में रूस ने क्रीमिया को अपने साथ मिला लिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध माना गया।
इसने रूस और पश्चिमी देशों (विशेषकर अमेरिका और यूरोप) के बीच तनाव बढ़ा दिया।
3. डोनबास संघर्ष:
पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र (डोनेट्स्क और लुहांस्क) में रूस-समर्थित अलगाववादी गुट और यूक्रेनी सेना के बीच संघर्ष 2014 से चल रहा था।
युद्ध की शुरुआत (2022)
फरवरी 2022 में, रूस ने “विशेष सैन्य अभियान” का एलान किया और यूक्रेन पर आक्रमण किया।
इसके पीछे रूस के तर्क थे:
1. नाटो का विस्तार: रूस का दावा था कि नाटो का यूक्रेन में विस्तार उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है।
2. डोनबास की स्वतंत्रता: रूस ने डोनेट्स्क और लुहांस्क की स्वतंत्रता को मान्यता दी और वहां सैन्य हस्तक्षेप किया।
3. यूक्रेन की ‘डी-नाज़िफिकेशन’ और ‘डी-मिलिट्राइजेशन’: रूस ने यूक्रेन पर अपने सुरक्षा हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया।
युद्ध का प्रभाव
1. मानवीय संकट:
लाखों लोग विस्थापित हुए और हजारों की मौत हुई।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने इसे मानवीय आपदा बताया।
2. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा।
वैश्विक ऊर्जा और खाद्य बाजार भी प्रभावित हुए, जिससे महंगाई बढ़ी।
3. वैश्विक भू-राजनीति:
पश्चिमी देशों ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए।
नाटो और यूरोपीय संघ ने यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता दी।
4. परमाणु खतरा:
युद्ध के दौरान परमाणु हथियारों के उपयोग की आशंका बार-बार उठी, जिसने वैश्विक तनाव बढ़ाया।
महत्वपूर्ण घटनाएं (2022-2024)
1. कीव पर हमला:
रूस ने राजधानी कीव पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन यूक्रेनी सेना ने इसका कड़ा प्रतिरोध किया।
2. खेरसॉन और खार्किव:
खेरसॉन जैसे क्षेत्र रूस के कब्जे में आए लेकिन यूक्रेनी सेना ने कई क्षेत्रों को पुनः प्राप्त किया।
3. पश्चिमी समर्थन:
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को आधुनिक हथियार और वित्तीय सहायता प्रदान की।
4. शांति वार्ता की विफलता:
कई बार वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
वर्तमान स्थिति (2024)
युद्ध अभी भी जारी है।
रूस और यूक्रेन के बीच कोई स्थायी शांति समझौता नहीं हो सका है।
यूक्रेन को पश्चिमी देशों का समर्थन मिल रहा है, जबकि रूस वैश्विक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।
भविष्य की चुनौतियां
1. शांति की संभावना:
युद्ध कब समाप्त होगा, यह अनिश्चित है।
2. वैश्विक स्थिरता:
यह युद्ध वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था और शक्ति संतुलन को प्रभावित कर रहा है।
3. पुनर्निर्माण और विस्थापितों की समस्या:
युद्ध के बाद यूक्रेन को भारी
पुनर्निर्माण और आर्थिक सहायता की आवश्यकता होगी।
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