अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मार्किंग का नया फॉर्मूला लागू

 कक्षा 9वीं व 11वीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा में बेसिक नॉलेज के होंगे 50 प्रतिशत प्रश्न

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राज्य के समस्त विद्यालयों में अर्द्धवार्षिक परीक्षा 14 दिसंबर से

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जिला समान परीक्षा योजना को राज्य परीक्षा योजना में बदलकर 9वीं व 11वीं कक्षा के बच्चों को राहत दी है।शिक्षा निदेशालय की ओर से दोनों कक्षाओं के लिए ब्लू प्रिंट जारी किया गया है। अब अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मार्किंग की नई स्कीम लागू की गई है। स्कूली विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह अंक विभाजन के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। साथ ही  नई शिक्षा नीति के तहत 70 नम्बर के पेपर में किताबों से सिर्फ 50 प्रतिशत सवाल ही पूछे जाएंगे। बाकी के सवाल ज्ञान एवं बोध आधारित होंगे, हालांकि ये सवाल किताबों से जुड़े ही होंगे। 70 में से 35 नम्बर के सवाल किताबों के होंगे, वहीं शेष 35 नंबर के सवाल बेसिक नॉलेज एवं बोध ज्ञान आधारित होंगे, जो किताबों से ही होंगे, पर प्रतियोगिता परीक्षा के तर्ज पर नॉलेज आधारित होंगे। पहले राज्य के सभी जिलों में कक्षा 9 और 11वीं के वार्षिक और परीक्षा में पूरे नंबर लाने के लिए विद्यार्थी किताब का रटा मारने लग जाते हैं। अब किताबों के सेम सिलेबस से अलग तरह से सवाल पूछे जाएंगे।

विभाजित कर पूछे जाएंगे सवाल

पूरे पाठ्यक्रम में 50 प्रतिशत प्रश्न ज्ञान, (पाठ्य पुस्तक), 20 प्रतिशत बौद्धिक, जिनमें मामूली दिमाग लगाना होगा और वैकल्पिक होंगे। 20 प्रतिशत अभिव्यक्ति पर आधारित या ज्ञानोपयोगी, 10 प्रतिशत मौलिकता कौशल से जुड़े प्रश्न होंगे। पेपर सवा तीन घंटे का कुल होगा। समय बढ़ाने के साथ विषयवार अंक प्रणाली भी घोषित की है।

70 अंक अर्द्धवार्षिक से मिलेंगे..

अर्द्धवार्षिक परीक्षा 70 अंक की होगी, जबकि वार्षिक का अंक भार 100 होगा। कक्षा का परिणाम 200 अंक पर जारी किया जाएगा। पहले 10-10 अंक के तीन टेस्ट को भी अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अंक भार में क्रिएटिविटी का प्रयोग कर सकें। इसमें जरूरी नहीं की ज्ञान आधारित सवालों के जवाब सभी बच्चे एक समान दे। अलग-अलग जबाव भी सही हो सकते हैं जो विद्यार्थी अपने बोध व सीख के आधार पर देगा। अभ्यर्थी उत्तर लिखने में तर्क क्षमता और क्रिएटिविटी का उपयोग कर सकेंगे।

1 thought on “अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मार्किंग का नया फॉर्मूला लागू”

  1. बहुत ही अच्छी पहल कक्षा स्तर के अनुरूप विद्यार्थियों के लिए बुद्धि तर्क शक्ति मानसिक योग्यता एवं शैक्षिक स्तर की जांच होना भी आवश्यक है केवल किताबी ज्ञान पर आधारित शिक्षा बालक के लिए इतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितना विद्यालय स्तर पर होने वाली नो बैग डे गतिविधियाँ जिसमें भाषा कौशल रुचि के अनुरूप होने वाली प्रतियोगिताओं का प्रभाव भी परीक्षा में दिखाई दें

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